श्रेणिक - चरित्र | Shrenik Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)..अरैमें खरे... .. ..... [-»
इसलिये यह बंतम हैं। तथा यदांपि यह द्वीप द्िज्रालाध्रितः
अथात् वरुणसंकटर राजाओकि आधीन है तो मी उत्तम नर झाण
क्षत्रिय वेर्यो निवासस्थान होनेके कारण यह उत्तम दी दै
और पवतोंखे मनोहर, पुण्यवान उत्तम पुसर्षोश् निवासस्थान,
यह जम्बूदीप अनेक प्रकारके उत्तम ताढावोंसि, तथा बड़े बड़े
कुण्डोंसे तीनों ढोकमें शोभित है ।
जिस जम्बूदीपकी उतम गोछाई देखकर न्नित व दुःखत
हुवा, यह मनोहर चन्द्रमा दिनरात आकादामें घूमता फिरता है.
तथा जिस प्रकार खोक अछोकका मध्य भाग है उसी प्रकार यह '
'जम्बूद्ोप भी समस्त द्वीपॉमें तथा तीन ठोकके मध्य भागमें है
ठा बडेर यतीश्वर कहते हैं।
इस जम्बूद्ीपके मध्यमें अनेक शोभाओंसे शोभित, गले हुबे
सोनेके समान देहवाछा, देदीप्यमान, अनेक कॉंतियोंसे व्यप्र,
सुवणमय मेस् पेत्. है । य मेरु साझात् विष्णुके समान मालूम
पढ़ता दै। क्योंकि जिस प्रकार विष्णुके चार मुजा हैं, उसी
प्रकार इस मेरुपरबंतके चार गजदन्त रूपी बार सुजायें हैं और
जिस प्रकार विष्णुका नाम अच्युत है उसी प्रकर यष््भी
अच्युत जथो नित्य है । जिस प्रकार विष्णु श्री समन्वित
अभावत् रक्ष्मी सहित हैं, उसी प्रकार यह मेरुपवेत भी श्री
समन्वित अर्थाद् नाना प्रकारकी शोभा ओंखे युक्त है ।
इस मेरुपबंतपर सुभद्र, भद्रश्ञाठ तथा स्वगक नंदनवनके
समान नंदनवन, और अनेक प्रकारके पुष्पोंकी सुगन्धिसे सुगधित
करनेवाले सौमनस्य षन है। यह मेरे अपांड॒॒अर्भाव् सफेद न
होकर भी पांडुशिकाफा घारक सोछह अकृविम चेत्याठयोंसे युक्त
अपनी प्रसिद्धिसे सबको व्याप्त करनेवाढा अथोत् अत्यन्त प्रसिद्ध
लौर नानाप्रकारके देवोंसे युक्त हैं। बड़े भारी ऊंचे परकोटे झे'
घारण करनेबाडा, सुवणंमय भर नानाप्रझरके रत्नॉंसे शोमिंत,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...