शब्दों का जीवन | Shabdon Ka Jiwan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
339 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शब्द जनमते हैं ५
प्रकार भी उत्पन्न ए है, पर देते शब्दों की संख्या श्रसहप है । हूँ द
हे ९ ह्य शो हे हो' उदाहरणाथं किये जा सकते द । धोबी
लोग कपड़ा घोते समय कभी-कभी तो कोई गीत गाते हैं पर कभी-कभी
कुछ इसी प्रकार के शब्दों से श्रपना श्रम-परिदरण करते हैं । सढ़क कूटने
वाले मह्तदूर दुर्मठ उठाते समय तथा गिराति समय देते शब्दों का
प्रयोग करते हैं । इसी प्रकार मरलाद विशेषतः लंगर उठाने के लिए
चका धुमाति समय इनका प्रयोग करते हें ।
भाषा की उस्पत्ति के विषय में धातु-सिद्धान्त ( हि००! 11060 )
बहुत महस्वपूर्ण है । प्रसिद्ध जमेन विद्वान् श्रो° दैज्ग तथा प्रो मैक्स-
मूलर श्रादि ने इस सिद्धान्त को हमारे समक्त रखा । इसके श्रनुसार
भाषा के सारे शब्द कुछ धातुश्रों पर श्राधारित हैं। सच पूछा जाय तो
इन श्राधुनिक विद्वानों के बहुत पहले पाणिनि ने श्रपने धातु-पाठकी
रचना की थी, जिसमे कुल १६४१ धातुर है! । उनके श्रनुसार संस्कृत
के सारे शब्द इन्दी धातुर पर श्राधारित हैं ।
इस सिद्धान्त के विषय में दो-तीन बातें कही जा सकती हैं । पहली
बात यह, रि यह कहना तो नितान्त भ्रामक है कि सभी भाषश्रो
में शब्द घातुद्नों पर श्राधारित हैं। इस दृष्टि से विश्व-भाषाश्रों को दो
वर्गों में रखा जा सकता दै। एक वर्ग तो उन भाषाश्रों का है, जिनमें
शब्दों का जन्म धातुश्रों से होता है। श्रंग्रेज़नी में 'रूट' फारसी में 'मरदुर'
श्ररवी में 'माददा' धातु को ही कहते हैं घर इन भाषाश्रों में प्रायः सभी
शब्द घातुश्रो पर ही श्राधारित हैं । दूसरा वगं उन भाषाशों का दे
जिनमें “धातु” नाम का या इस प्रकार की किसी चीज़ का बिल्कुल पता
नहीं दै। उदादरण के लिए एकात्तरी परिवार लिया जा सकता दे
जिसकी प्रधान भाषा चीनी है ।
इस सम्बन्ध में दूसरी बात यह है कि यह कहना तो बिलकुल
झवैज्ञानिक दे कि श्वारम्भ में मनुष्यों ने कुछ घातुएँ बनाई और उनके
१... धातु-पाठ, चौलम्तरा संस्कृत सीरीज्र, काशी । `
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