ग़दर का इतिहास | Gadar Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26.84 MB
कुल पष्ठ :
574
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एइला अध्याय शहर टाटा था गई है। अद्स्य तेज और सम्यताक निकट संसार सिर रूम सकता है पर याखवया ज़ियोंको दुनियां सदा थिल्लारेगी । खंखा- रय्या सब्चा इतिहास इसे सहन नहीं पार सखफता | पंजाब अधिक दिन सोहित न हो सका जो आग उसके हृदयमें जल थी चहू अधिक दिन छिपी न रह खकी । शुरू गोविन्द्सिंहने पंजाब- की जो गर्प शुन बहाया था चाह अधिक दिन ठंढा न रहा | महारानी ज़िन्दांदि देशनिकालेके कुछ दिन बाद ही सारा पंजाब एक मलझित मंत्रशक्तिके बलसी फिर उठ खड़ा हुआ । जिस समय अगू भर ए डर्सन सारे गये उसी समय पडचडेंस नामक एक सैनिक बनतूके बन्दोबस्तके लिए नियत था | अयू और प डसन जैसे ही घायल हुए वैसे ही मदद लिए एच ख़त लिखकर उन्दोंने सवार द्वारा एडवर्ड्सके पास छिंवा । यह पत्र सेनापति चोर्लेंडके नाम लिखा गंया था। २९ अप्रेखको वीसलरे पहर यह ख़त बनते पहुंचा । ण्डवडंस उस खुपय कयहरीमें बेठा फोजदारी सुकदमे कर रहा था । उसने पत्रकों ज़रूरी समझ कर खोला और दोनों ज़ॉंपर विपक्तिका समाचार एटफर घह अपने देशबन्घओऑंप्ी चिफपत्तिसे आछकुछ हो उठा । फिस प्रदार जच्दीसे मुख्तान पहुंचा. जाय यहीं चिन्ता उसके चूमने लगी | जिस फामके लिये घहद बननू शेजा गया था. उसे वह झूठ गया । एडवडेसने एक पत्र सर ऋ डरिक कारीकों ठिखा और जो कुछ बारुद् गोछा और तोपें मिठ सकी उस्रीसे तैयार होकर वह
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