ग़दर का इतिहास | Gadar Ka Itihas

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Gadar Ka Itihas by पंडित शिवनारायण - Pandit Shivnarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एइला अध्याय शहर टाटा था गई है। अद्स्य तेज और सम्यताक निकट संसार सिर रूम सकता है पर याखवया ज़ियोंको दुनियां सदा थिल्लारेगी । खंखा- रय्या सब्चा इतिहास इसे सहन नहीं पार सखफता | पंजाब अधिक दिन सोहित न हो सका जो आग उसके हृदयमें जल थी चहू अधिक दिन छिपी न रह खकी । शुरू गोविन्द्सिंहने पंजाब- की जो गर्प शुन बहाया था चाह अधिक दिन ठंढा न रहा | महारानी ज़िन्दांदि देशनिकालेके कुछ दिन बाद ही सारा पंजाब एक मलझित मंत्रशक्तिके बलसी फिर उठ खड़ा हुआ । जिस समय अगू भर ए डर्सन सारे गये उसी समय पडचडेंस नामक एक सैनिक बनतूके बन्दोबस्तके लिए नियत था | अयू और प डसन जैसे ही घायल हुए वैसे ही मदद लिए एच ख़त लिखकर उन्दोंने सवार द्वारा एडवर्ड्सके पास छिंवा । यह पत्र सेनापति चोर्लेंडके नाम लिखा गंया था। २९ अप्रेखको वीसलरे पहर यह ख़त बनते पहुंचा । ण्डवडंस उस खुपय कयहरीमें बेठा फोजदारी सुकदमे कर रहा था । उसने पत्रकों ज़रूरी समझ कर खोला और दोनों ज़ॉंपर विपक्तिका समाचार एटफर घह अपने देशबन्घओऑंप्ी चिफपत्तिसे आछकुछ हो उठा । फिस प्रदार जच्दीसे मुख्तान पहुंचा. जाय यहीं चिन्ता उसके चूमने लगी | जिस फामके लिये घहद बननू शेजा गया था. उसे वह झूठ गया । एडवडेसने एक पत्र सर ऋ डरिक कारीकों ठिखा और जो कुछ बारुद्‌ गोछा और तोपें मिठ सकी उस्रीसे तैयार होकर वह




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