हिन्दू संस्कृति और ज्ञान के उद्धार - हेतु | Hindu Snskriti Aur Gyan Ke Uddhar - Hetu

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Hindu Snskriti Aur Gyan Ke Uddhar - Hetu by डॉ. राधाकुमुद मुकर्जी - Dr. Radhakumud Mukarji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) क भश ७ 6 (4 क राजकुमारों की शिक्षा के विषय में कोइ विशेष विवरण नहीं दिया गया है । ज्यों ज्यों वे बढ़ते गये 'उनके शरीर- बन्घ चख्ध की भान्ति कठोर होते गये,' वे 'घोड़ों पर चढ़ कर बाहर निकलते थे और अड्डा विन्यास में अरुण और गरूड़ जैसे सुन्दर थे, उनके दाथ तलवार चलाने के अभ्यास से पड़े हुए लाच्छनों के कारण नित मलिन होते थे, जबकि उन के मनोविनोद का समय उनके धनुषोकी गम्भीर रङ्ारसर लक्षित दोता था [दषे० प° १३द६-३७] । उनकी बदिन राञ्यश्री श्ृलयगीतादि म निपुख सखियां द्रोर सकल कलाञ्रोसरि नित श्रपना परिचय बढती हुई शनैः शनेः परिवद्धित होने लगी [इष० पु० १४०] । अपेक्षाकृत परिमित समय में ही योवनको प्राप्त इदे वह उचत ठार बाट श्रौर विधि षेधानके साथ मुखरे राजवंशके राजा श्रवन्तिवमा के पुत्र राजकुमार ग्रहवमौ को व्यादी गड [हृष० प° १७९१]; खय रजा ज्लोग मी अपने महाराजाधिराज कं ¶ शक्सर लोग इस बात को नहीं जानते कि बाण ने हषे के एक तीसरे भाई का भी वणन किया है, जिसका नाम कृष्ण [हषे प° ६२] हषैचरित में हषे के एक पुत्र का भी उल्लेख [इष» प्र० 8१] दे । २ हरहा शिलाल्ञेख [एपि० इन्डि० वात्यूम ५४ पृ० ११०] के झनु- सार मुखर राजवंश की उत्पत्ति सूर्यवंश से थी । उसमें लिखा दे कि महाभारत कथा प्रसिद्ध सती सावित्री के पिता मद देश के राजा अश्वपति इस वंश के संस्थापक थे । मुखर राजकुल की अति प्राचीनता इस बात से भी ज्ञात होती है कि गया से मिली हुई एक मिट्टी की मुहर पर मौय॑ काल की बाह्मी लिपि भें खुदे हुए श्रक्षरों में मोखालिश-मोखरे: पाया गया है [देखिये फर्लट कृत गुप्तशिलालख, पृ० १४]. काशिका ग्रन्थ में गोन्रावयव अथात्‌ छोटे गोत्र खा कुलो के उदाहरणों में भी मुखर शब्द दिया हुआ है । पाणिनीय सूत्र ४ । १ । ७६ के अनुसार मुखर से स्त्रीवाची मोखर्या राब्द सिद्ध किया गया है ।




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