तमिल और उसका साहित्य | Tamil Aur Usaka Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
क्षेमचंद्र 'सुमन'- Kshemchandra 'Suman'
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श्री पूर्ण सोमसुन्दरम - Shri Purn Somsundaram
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संघपूर्व-काल १५
व्याक्ररण-ग्रम्थ (मुख्यतः तोज्लकाप्पियस्) इसीके श्राधार पर लिखे गए |
शायद यही कारण है कि श्रगत्तियनार को (्तमिढ का पिता” कहा जाता है ।
इस बात का भी उल्लेख वाद- के ग्रन्थो म मिलता हे कि अगत्तियनार
ने नाय्य-शाल्र पर त्रगत्तियस्' नामक एक ग्रन्थ भी, रचा था । परन्तु दक्षिण
मदुरा के साथ-साथ यह तथा श्न्य सभी प्रन्थ समुद्र-मग्न हो गर् |
द्वितीय संघ--उइसके पश्चात् कवाटपुरम में, जो वर्तमान कुमारी
श्रन्तरीप के दक्षिण में उस स्थान पर बसा था जहाँ श्रव हिन्द महा सागर
` लर मार रदा है, पाण्ड्य राना ने श्रपनी नई राजधानी स्थापित की
रौर साथ दी क्वि-परिपद् भी । यदं परिषद्, 'इडेच्चंगम” (मध्य संघ)
के नाम से विख्यात दै । तोलकाप्पियर ऋ श्रुपम व्याकरण-ग्रन्थ इसी समय
स्वा गया था ।
ध्वाल्मीकि रामायणः मे कवाटपुरम् का उल्लेख मिलता दै । सीता की
खोज के लिए वानरों को भेजते हुए सुग्रीव कहता है :
ततो हेममयं दिव्यं सुक्तामणि-चिभूषिरम्।
युक्तं कवाटं पार्ट्वानाम् गता दृचयथ वानराः 1१
( पार्ड्वौ की मोतियों व रलो से खंचित देवी छुवि वाली स्वर्णपुरी
कवाटनगरी पर्हुचकर, हे वानरो, वहो सीता की खोज करौ । ) ।
ष्दौरिल्यः ने भी अपने श्रथशास्त्र में 'पाएब्य कवाट' का उल्लेख
कके कटा है कि वहाँ एक विशेष प्रकार का मोती प्रचुर मात्रा में पाया
जाता हे ।
प्महाभारतः के व्रण पव॑ मे, संसपतक्-वध सगं मै साय नाम के
पार्डय राजा का वृसुन है, जो पार्डवों के पक्ष में कौरवों के विरुद्ध लड़ा था |
इस चुन मे कहा गया हैं कि “कचाटपुर के ध्वस्त होने के वाद दहु
झपन शेप राज्य को सुद्ड़ करके उस पर शासन करता था 1”?
इन बत्तों से यह प्रमारित होता है. दि कचाउ्पुरी एक जमाने में
पारएख्यो की समृद्ध राजधानी थी दौर याद मैं व समुद्र-मग्न हुई | *
१, कन्धा-छारड, स्यं ४१, श्लोक १8 ।
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