अफलातुनकी सामाजिक व्यवस्था | Aflatuniki Samajik Vyavstha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अफलातूनकी जीवनी । ५ नामक ग्रन्थन उसने प्रथम उदेशकी सिद्धिका प्रयत्न किया है शरोर प्लोज्ञ' नामक ग्रन्थमे दूसरे उदेश्की सिद्धिका । परन्तु इससे कोई यदह न समै कि उसके ये समस्त विचार केवल 'वयाली दुनियो ` की वाते धी श्रौर उन विचारोके भ्रचारसे प्रत्यक्त कुछ भी कार्य न हो सका । चास्तवमें उसका विद्यापीठ राजकीय कार्योकी शिक्षाका केन्द्र था और उसके शिप्योमेंसे श्ननेकौने राज्य-सं चालकका शौर व्यवस्यापकका काम किया ! चिद्यापीठसे निकल कर उसके शिष्योने भिन्न भिन्न राज्योंमें सुव्यवस्था स्थापित करनेका प्रयल किया । श्रफलातूनके वाद्‌ जेनोकेटीज नामक पुरूष उसके चिद्या- पीठका संचालक दुध्रा इस व्यक्तिने प्रसिद्ध सिकन्द्रके कहनेपर उसे राजाके कार्योकी शिक्षा दी श्रौर झाथेन्सके राजकीय कार्यों में प्रत्यक्ष भाग भी लिया । श्रीसके पूर्व श्र पश्चिम, दोना श्लोर, इस विद्यापीठका यथेप्र भरभाव पड़ा । पक वातमे तो इसका प्रभाव खूब गहरा श्र स्थायी रहा--यूनानी काननूके विकासमें इस विद्यापीठका अच्छा हाथ रहा । खयं झाफलादूनने पने तत्वोके श्रुसार मीसके कानूनका प्रणयन शोर परिवतेन करनेका प्रयल किया था । ऐसा जान पड़ता हे कि तत्कालीन ग्रीखपर 'रिपब्लिक' की अपेक्षा 'लॉज़' नामक भ्रेंथका झाधिक प्रभाव पड़ा । अफलातूनके काय इतनेमें ही समाप्त नही होते । साठसे सत्तर च्पेकी 'ावस्थातक सिसलीमें उसने श्रपने तत्वौको प्रत्यक्ष व्यवहारमें लानेका प्रयल किया था । तत्कालीन राज- कीय परिखितिके सम्बन्धमे मनन करनेसे उसकी यह ढ़ 'घारणा होगयी थी कि राज्योकी शासनन्यवस्थाश्यौ{का जव- पे ए0ए5घ1ए 901 018 प58010115




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