नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति | Nai Rashtriya Shiksha Neeti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जगदीश नारायण पुरोहित - Jagdiish Narayan Purohit
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शिंक्षा में नवाचार | {
सामाजिक एवं मानवीय पक्ष वसम् ११. कि शैक्षि
नवाचारों को धपनाने से तथा उन पेर सर्फतापूर्यक 09 से
जुड़े विन्न वगो (शिक्षर प्रशा्तक, नियोजक, पयवश्च नर्व श्रादि)
में से किसी एक वर्ग को सम्मान मिल जाय या वह वर्ग झधिक प्रकाश में
भ्राजाय 1 कुछ नवाचार मानवीय कल्याण के विरुद्ध भी माने जामे लगे हैं
जैसे परीक्षाफलो का मशीनों परर तेयार होना--इसी भांति भ्र्भिक्रमित
श्रष्ययन विधि द्मष्षरों में यह भय पंदा कर रही है कि इससे तो भ्ध्यापकों
का प्रतिस्थापन हो सकता है--इससे प्रष्यापक बेकार हों जायेंगे । यह एक
संदेह मात्र ही है जिसका भ्रष्यापक तथा प्रशप्रक साथ बेठ कर घंयें के साथ,
संदेहं का निराङस्ण कर सही सिंथिति समभकाई का सकती है ।
तकनीकी पक्ष :--शेक्षिक नवाचारों पर कार्य करते समय इस बात
पर आप्रह रहता है कि वह सामान्य श्रध्यापक के उपयोग के लिए हो । बह इतना
उलभनपूर्ण या तकनी की पूर्ण न धन जाय कि उसको समभनेके लिएभी एक
चीटी की शिक्षा प्राप्त तकनोशिवन की जरूरत पड़े । इसलिए कई बार प्रशाप्तक
यह कहते पाये जाते हैं कि नवाचार को योजना सब को समभ मे श्राने वाली
हो तथा प्रभारी श्रध्यापक का स्थानास्तर होने पर भी उन पर कार्य जारी
रखा जा सके तथा उस पर किया व्यय तथा मानवीय धरम व्यथे ही न चले जाय,
किर भी यह तो नही कहा जा सकता कि सभी श्रध्य।पक उसको समभ
लेंगे । यह तो निश्चित रूप से मानना ही चाहिए कि नवाचारों पर कायं
करने के लिए सामान्य श्रघ्यापक से ज्यादा सूभ-बूक साह्यिकी तथा
शोध विधियों की जानकारी उसे होना ही चाहिए । इस प्रकार स्पष्ट है
फ्रि हर ्रध्यापक की श्रपनी-प्रपनी सीम है)
वित्तीय पक्ष :--विना पर्याप्त जन के शैक्षिक नवाचारों से जुड़ी
योजनाझो पर कार्य नहीं किया जा सकता है । घन को कमी भ्रच्छी से भ्रच्छी
योजना को गड़बड़ कर देती है । शैक्षिक नवाचार के कार्यक्रम, कुछ श्रेशों
में, भारी धन की माग करते हैं जो कई बार सुविधा से उपलब्ध नहीं
होता । योजनाधिकारियों का यह दायित्व है कि बे शंक्षिक नवाचारों के
लिए पर्याप्त मात्रा में धन उपलब्ध करावे । श्राजकल विभिन्न श्रभिकरण
इस प्रकार के कार्यक्रमों के लिए उदारतापूवक घन देने लगे है, जिनमें प्रमूख
है राज्य शैक्षिक प्रनूखधान एवं प्रशिक्षण सस्थान) माध्यमिक शिक्षा वो,
राष्ट्रीय शैक्षिक श्रनुसंवान परिपद्, माधी श्रध्ययन संस्थान, भारतीय
सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिपद, विश्व-विधालय ्रतुदान श्रायोग,
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