हम तो मोहब्बत करेगा | Hum To Mahobbat Karega

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Hum To Mahobbat Karega by कृष्ण चंदर - Krishna Chandar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक बच्चा--मास्टरजी, बच्चा श्रेगूठा क्यों चूस रहा है ? दूध क्यों नहीं पीता ? हसरा वच्चा--(डपटकर) भ्ररे, दूध कहाँ से श्रायेगा ? दूध श्राजक्त रुपये का सेर विकता है; वह भी आ्राघा पानी श्रोर झाधा दूध । झब बच्चा श्रगर रुपये का सेर दूध पियेगा तो बच्चे के माँ“ - बाप क्या खायेंगे; तेरा सिर ? तीसरा बच्चा--हाँ, ठीक है ! श्राजकल के बच्चे दूघ नहीं पी सकते; सिफे झँंगुठा चूस सकते हैं । ठीक है मास्टरजी ! . दूसरा बच्चा--ठीक है मास्टरजी, पढ़ाइए माँ-बच्चे को गोद में लिए बैठी है । चौथा बच्चा --माँ-बच्चे को गोद में कहाँ लिये बैठी रहती है १ हमारी माँ तो नहीं बेठतो । दिन-भर काम करती रहती है । बच्चा खटिया पर पड़ा रहता है । मास्टरजी, कभी हमें सें भा- लना पड़ता है, कभी हमारे भाई को; कभी मेँ कली वहन को । मगर वह भी काम करती है ? सास्टर--क्या काम करती है ? हि चौथा बच्चा--मेरी माँ श्रौर मेरी बहन, वे दोनों मिल मे काम करने जाती हैं । नया बच्चा घर पर रोता है । माँ सुबह खाना पकाती हैं, दिन-भर मिल में मजदूरी करती हैं ! बच्चे को गोद में नहीं लेती । (चिल्लाकर) मास्टर जी, इस किताब में भूठ लिखा है । मॉ-बच्चे को गोद में नहीं लेती । मास्टर जी, (भांखों में श्राँसू भरकर) मेरी माँ छोटे भाई को गोद में नहीं लेतीं ! सास्टर--चुप रहो ! पाँचदाँ बच्चा--(नतिहायत साफ-युयरा)--यह भूठ बोलता है मास्टर जी! मा-वच्चे को गोद में लेतो है । जब हम घर पर जाते है तो माँ हमे गोद में उठा लेती है। जब हम घर जाते हैं हमारी माँ हमसे बहुत प्यार करती है | श्घ




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