नीना | Neena
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.3 MB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक-दो तुरियां तेज को भी चुसा दीं ।
रात पड़ती जा रही थी । नसों ने वच्चों को अच्छी तरह गरम कपड़ों
में लपेटा भौर उन्हें उनके वाई की भोर ले चलीं 1 एक नसें ने तेज की बोर
अपनी वांहें फलाई; वह उसे भी दूसरे वच्चों के साथ ले जाना चाहती
थी लेकिन तेज ने नसें के मुंह की भोर देखते ही ज़ोर से राजवंती का कंधा
दवा दिया । .
*'मभी नहीं ' **कल-परसों देखा जाएगा ।” राजवंती ने कहा और तेज
को भींच लिया 1
कुछ दिनों में ही तेज चंगा-भला हो गया । उसका स्वास्थ्य निखर भावा
था गौर उसकी उदासी अन्य बच्चों के साथ से, 'राजवंती के प्यार से और
सरसों के विशेष देख-रेख से दूर हो गई थी । अव नसें उसे अपने वार्ड में ले
जाती थीं । वा में जितने वच्चे थे, वहां उतने ही पंघूड़े पड़े थे । तेज.सबके
पंघूड़े के पास जाता, छोटे बच्चों के हंसने और रोने को भाश्चये से देखता ।
अपनी मायु के बच्चों के साथ खेलता बौर कई वार उनके साथ खेलते-
खेलते वहीं सो जाता । नर्ों ने स्टोर में से एक छोटा-सा पलंग निकलवा
लिया । वे सोएं हुए तेज को यार्ड में ही सुला लेतीं । कभी-कभी जब तेज
को नींद न आती तो वह “माताजी के घर जाऊंगा”--कहकर राजवंती के
पास बंगले में जाने की जिद करता । उसकी देखादेखी अन्य वच्चे भी कुछ
जिद करते, लेकिन उन्हें वहां सोने की मादत पड़ चुकी थी, थोड़ी-सी जिद
के बाद वे चुप हो जाते थे । तेज को भी नें वेठा लेतीं । लेकिन कभी-कभी
वह अपनी जिंद में राजवंती के पास आकर ही दम लेता 1
अपनी के बच्चों के साथ में भी तेज के लिए एक आकर्षण था ।
सुवह-सवेरे ही वह फिर वार्ड की और भाग जाता । जब न्सें सब बच्चों
को नहजा-धुलाकर तैयार कर लेतीं, राजवंती स्वयं वार्ड में आती और
अपने सामने बच्चों को नाश्ता कराती । छोटे बच्चों के लिए दूध की
वोतलों को गरम पानी में. उवाला जाता । जब यड़े बच्चें खा-पी चुकते तो
राजवंती एक नसे को साथ लेकर सब वड़े वच्चों को बाहर के ग्राउंड में ले
आती । चच्चें हंसते, खेलते भाग-दौड़ करते । अब तेज उनमें खूब
हिल-मिल गया था । अब वह अधिकतर वच्चों के वाई में ही सोता था ।
सुवह यदि राजवंती के आने में ज़रा देर हो जाती तो वे तीनों-चारों
' बड़े वच्चे वैचेन हो जाते । नर्सों से कहते कि उन्हें जल्दी तयार किया जाए,
वे माताजी के पास जाएंगे। नें उन्हें कपड़े पहनातीं, जुरादें और दूट
' पहनातीं और वड़े यल्नों से उन्हें मनाती ।
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