एशिया के सामाजिक और संस्कृत इतिहास की रूपरेखा | Asia Ke Samajik Aur Sanskritk Itihas Ki Ruprekha

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Book Image : एशिया के सामाजिक और संस्कृत इतिहास की रूपरेखा  - Asia Ke Samajik Aur Sanskritk Itihas Ki Ruprekha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ भ कद ` संस्कृति का सबेरा र उरदुन्न (जोडन) घाटी में जेरीको में भी स्थायी जीवन के विकास के चिह्न मिले हैं। वहाँ ८५००० ई० पु० के लगभग नतुफी लोगों की बस्ती थी। इसके बाद वहाँ एक क़िलेबत्द क़सबा बना । इसका क्षेत्रफल ८ एकड़ के करीब था । क्रिलेबल्दी के साथ ८.५ मीटर व्यास का एक पत्थर का बुर्जे था जिस पर जाने को जीना होता था दस जीने में पहुँचने के लिए एक दरवाज़ा श्रौर रास्ता था। इसके साथ १.५ मीटर चौड़ी पत्थर की दीवार बस्ती के चारों श्रोर बनी हुई थी। दीवार के अन्दर बुजें के पास उत्तर की श्रोर लिपी हुई कच्ची ईटों की दीवारों के घरे मिले हैं जो शायद पानी भरने के हौज़ थे। दीवार के बाहर चट्टान को तराश कर ८.५ मीटर चौड़ी श्र २.१० मीटर गहरी एक खाई बनायी गयी थी। चूंकि कुदाल श्रौर गेंती के प्रयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिला है, इसलिए लगता है कि पत्थरों से चट्टान को फोड़कर या आग श्रौर पानी' से इसके टुकड़े कर यह खाई बनायी गयी थी । इसमें काफी मेहनत श्रौर वक्‍त लगा होगा श्रौर बहुत लोगों ने मिल- कर काम किया होगा। यह सिंचाई श्रौर रक्षा के लिए पानी भरने के काम आती थी । बुर्जे;, दीवार, हौज़ श्रौर खाई से पता चलता है कि उस जगह के निवासियों में सहयोग भौर अनुशासन का भाव गहरा था। क़सबे के अन्दर कच्ची ईंटों के गोल या अण्डाकार मकान थे। कुछ में एक ही कमरा था श्रौर कुछ में तीन तक कमरे थे। इनके फर्श ज़मीन की सतह से नीचे थे श्रौर उन पर उतरने के लिए पैड़ियाँ बनी थीं । लकड़ी की चौखटों से जड़े दरवाज़ों में होकर इन पैछियों से उतर कर मकान के अन्दर जाया जाता था। अन्दर से मकान लिपे-पुते थे श्रौर इनकी छतें डंडियों श्रौर खपच्चियों को गारे से लीपकर गुम्बज़नुमा. बनायी जाती थीं। मुर्दों को फर्श के नीचे दफनाया जाता था। खोपड़ियों को भूसा, मिट्टी या गेरू भरकर अलग से रखा जाता था । लगता है कि यह कोई धार्मिक उपचार था । ' एक भ्रोर तो इनसे नरबलि का अनुमान होता है श्र दूसरी आर इस बात का पता चलता है कि ये लोग यह मानते थे कि मरे हुए व्यक्तियों की बुद्धि उनके सिर में होती है भ्रौर उससे लाभ उठाने के लिए उनको सुरक्षित रखना जरूरी है। कारव्रन १४ के परीक्षणों से यह बस्ती ६८०० ई० पु० की मालूम होती है। कुछ समय बाद श्रौर लोगों ने जेरीको पर कब्जा कर लिया। ये लोग तहृनियों के पुर्वज मालूम होते हैं। इन्होंने कसबें के रूप को बनाये रखा:। लेकिन इनके. पत्थर के बरतन पहले लोगों से भिन्न प्रकार के मालूम होते हैं। उस वक्‍त इस जगह करीब . ३००० आदमी रहते होंगे। यह ख़ास बात मालूम होती है कि जेरीको के निवासी मिट्टी के बरतन बनाना नहीं जानते थे । ': .. 'ईराक़ी कुर्दिस्तान में जार्मों श्रौर थिसली में श्रोतज़ाकी नाम के स्थानों से उस




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