ज्ञानयोग | Gyanyog
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीपरमात्मने नमै
साधनरसंग्रहान्तर
प
ज्ञानयाग
उद्देश्य
-निष्काम कम॑-योगद्वारा मनके सग परूप मखुको दूर करके
-ओर अम्यास-योगद्धारां मनके चिक्षेपका नाश करतेपर ही
साधक शान-मार्गका * अधिकारी: होता है, अन्यथा . नहीं 1
'लिखा है-- ¶
ह कर्मयोग विना शान करयचिन्नेह , दश्यते 4
| ( मत्छपुराण धर) , |,
क्सो व युष ालयोगों न सिव्यतति ।
. { इद्न्नारदीय पुराण ३१। ३२)
कर्म॑-योगके सम्पादन विना किखीको ज्ञान नहीं होते
देखा । मजुष्यको क्रिया-योगके बिना ज्ञान-योगकी उपलब्धि नहीं
ˆ द्दोतीहै। ` ए
जञान-मागं अथवा क्ञान-योगका उदेश्य बुद्धिको विचक्षण,
उन्नत पव॑ .शुद्ध करके आत्माका परिचय, लाभकर आत्मामें
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