ज्ञानयोग | Gyanyog

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीपरमात्मने नमै साधनरसंग्रहान्तर प ज्ञानयाग उद्देश्य -निष्काम कम॑-योगद्वारा मनके सग परूप मखुको दूर करके -ओर अम्यास-योगद्धारां मनके चिक्षेपका नाश करतेपर ही साधक शान-मार्गका * अधिकारी: होता है, अन्यथा . नहीं 1 'लिखा है-- ¶ ह कर्मयोग विना शान करयचिन्नेह , दश्यते 4 | ( मत्छपुराण धर) , |, क्सो व युष ालयोगों न सिव्यतति । . { इद्न्नारदीय पुराण ३१। ३२) कर्म॑-योगके सम्पादन विना किखीको ज्ञान नहीं होते देखा । मजुष्यको क्रिया-योगके बिना ज्ञान-योगकी उपलब्धि नहीं ˆ द्दोतीहै। ` ए जञान-मागं अथवा क्ञान-योगका उदेश्य बुद्धिको विचक्षण, उन्नत पव॑ .शुद्ध करके आत्माका परिचय, लाभकर आत्मामें




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