सामाजिक विचारक | Samajik Vicharak

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Samajik Vicharak by वीरेंद्र प्रकाश शर्मा - Veerendra Prakash Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह सामाजिक विचारक र्थ स्पेन्सर से भो दुर्खीम प्रभावित रहे। उन्होंने डार्विन के उद्विकास को समाज पर भी सायू किया था और बताया था कि जैसे- जीवों का विकास सरलता से जरिलता, समानत से भिनना भौर अमम्बद्धता से सम्बद्धता कौ ओर होता है, ठीक उसी क्रमसे उद्विकास की प्रक्रिया समाज, समूह ओर सामाजिक संस्थाओ में पाई जाती है ! दुर्खीम ने उद्विकास की धारणा को प्रस्तुत करते हुए बताया कि समाज का उद्विकास यात्रिक दुदृतो से सावयवी दृढ़ता' को ओर हुआ है। दुर्खीम द्वार प्रस्तुत यह यात्रिकं एवं सार्वयवी' एकता चाले समाजो का वर्गीकएण-रटॉनीज द्वात वर्णित समूह और समाज के वर्गीकरण--जेमीनशापट और जेसीलशाफ्ट से भी प्रभावित है! दुर्खीम समूदवादी विवारक थे। समूहवाद को जन्म देने का श्रेय डी बोनाल्ड और डी मैस्ट्रे (3८ 80910 207 € 2121500८) को है--इनके मत में समूह के सदस्यो से अलग भी समूह का अस्तित्व होता ह ! अर्थात्‌ व्यक्ति से पूर्वं समूह विद्यमान होत है, जो उसकी संस्कृति और मूल्यों के निर्माण के निए जिम्मेदार होता है। इसी विचार से प्रेरित होकर दुर्खीम भी सामाजिक घटनाओं का कारण समूह या समाज को मानते थे--चोरी, अपसध, क कौ दर कम अथवा अधिक होने का मुख्य कारण उनके मत में 'समूह या समाज हो ॥ दुर्खीम के विचारों पर फ्रासीसी विद्वान टार्डे कृत ' अनुकरण का सिद्धान्त' का भी प्रभव षडा) ट को मत था कि व्यक्ति का व्यवहार व्यक्तियो के अनुकरण का परिणीम है। दुर्खीम ने इसे सशोधित करते हुए कहा था कि व्यक्ति का व्यवहार सामूहिक व्यवहार से प्रभावित होता है। दुर्खीम का “सामूहिक प्रतिनिधित्व” और ' सामूहिक चेतना ' टा्डे से हो गृहीत है। दुर्खीम पर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक वुण्ट का भी प्रभाव पडा। वुण्ट ने मानसिक जीवन का अध्ययन करने मे वैज्ञानिक पद्धति को अपनाने पर बल दिया था। उसी भाँति दुर्खीम ने भी भोतिक विज्ञानो की पद्धति को समाजशास्त्र यँ अपनाने पर बल दिया। विद्यार्थी जीवन में दुर्खोम का परिचय प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री ' ब्लोट्रोव्स' और | इतिहासकार 'फस्टेल डी कोलन्जेंस ' से हुआ। ब्रोटोक्स की मानवीय व्यवहार की व्याख्या को दुर्खोम ने समूह और समाज के आधार पर प्रस्तुत किया। ब्रोटोक्स के कहने पर मोण्टेस्क्यू पर शोध-प्रबन्ध लिखा) वाद्‌ भे अपने शोध-ग्रन्थ “समाज ये श्रम-विभाजन को भी दुर्खीम ने ग्रोटोक्स को ही समर्पित किया। कोलेन्जेन्स से वे अत्यधिक प्रभावित रहे। बाद में बोर्डियक्स विश्वविधालय में वे अलफ्रेड एस्पिनास के सम्पर्क मे आये और उनके ' समूह मस्तिष्क' के सिद्धान्त से प्रभावित्र हुए। सामूहिक चेतना सम्बन्धी दुर्खोम के विचार उन्हीं से प्रभावित हैं दुर्खीम पसिद्ध विचारक चास रिनाउवीर से भी प्रभावित रहे। निप्कर्षत; यह कहा जा सकता है कि दुर्खीम के विचारं पर यूसोप और फ्रांस के अनेक विचारको का प्रभाव पड़ा था। दुर्जीम का समाजशास्त्र में योगदान (0प्राटाचा'5 (०प(ल७00107 1 5००1०1०8५9) *ममाजशाम्तर' के प्रमुख दिचारक दुर्ोम ने समाजशास्त्र को एक विज्ञान का रूप प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। आपने उपयुंक्त वर्णित लेखो, शोध-प्रवन्धो, विनिबन्थों तथा पुस्तकों के द्वारा समाजशास्त्र की बड़ी सेवा की है। आपने इस मवीन-विषय




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