सराक क्षेत्र | Saraak Kshetr
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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इनके अतिरिक्त कलकत्ता, पटना और भुवनेश्वर के संग्रहालयों में इन क्षेत्रों
से प्राप्त जैन प्रतिमाएं रखी हुई हैं। साथ ही अनेकों स्थानों पर खण्डित-अखण्डित
जैन प्रतिमाएं, ध्वस्त मन्दिर जैन प्रतीक बिखरे पड़े हैं जिनमें प्रमुख हैं-बिहार में
गया जिले के अन्तर्गत पचार पहाड़ी, ब्रह्जजूनी पहाड़ी-जिन्हें देखकर कनिंघम साहब
ने लिखा है-यहां की मूर्तियां प्रगट रूप से जैनियों की हैं।
हजारी बाग में पारसनाथ पर्वत एवं कलुहा पहाड़, भददलपुर यहां अनेक प्राचीन
जैन मन्दिर एवं जैन प्रतिमाएं हैं।
बंगाल में मानभूम के अतिरिक्त बलरामपुर, बोरम, दारिका, दर्र, करतासगढ़,
पवनपुर, पांचेत या पांचकोट पार, तेलकूपी पंखाग्राम, बरा बाजार में अमेक प्राचीन
अवशेष है । जिला हुगली, मेदिनीपुर, खुलना मे भी अवशेष है ।
सिंहभूम के अतिरिक्त बेनूसागर, कोल्टन, रुआम, हंसी, हकंडी, देवली,
नवाडीह, तमाड़ में प्राचीन स्मारक हैं ।
मयूरभज, कोपकटक, बरसई, नीलगिरि में पुण्डाल, डोमगांधार तारिपदा,
बाजसाई, रानीबन्ध, बालासर, भीमपुर, किंचिग आदि पुर में पर्याप्त जैन चिहन हैं |
उड़ीसा के पुरी जिला मेँ उदयगिरि, खण्डगिरि एवं नीलगिरि तो महत्यपूर्ण हैं
ही इनके अतिरिक्त धौली, तोसाली, पीपजीधाना में जैन मन्दिर एवं जैन प्रतिमाएं
प्राप्त हुई हैं।
कटक जिला में अगसिया पहाड़ी, छातिया पहाड़ी, चांदवर, जजपुर, रत्नगिरि
से जैन प्रतिमाएं प्राप्त हुई
पुरी मे मन्दल नामकं स्थान से सुन्दर प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं ।
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