दिल्ली जैन डायरेक्टरी | Delhi Jain Dayarektari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका न टायर रन पन्द्रह प उक्त सभी महानुभावों तथा विज्ञापनदाताओं के, जिन्होंने भ्रपने विज्ञापन देकर उदारता का परिचय दिया प्नौर डायरेवेटरी के प्रकाक्षन को सुलभ किया, हम हादिक प्रामारी ह । डायरेबटरी के मुद्रक जयन्ती प्रेस के व्यवस्थापक पार्टनर श्री एम० श्वार० कुमार भौर उनके फोरमेन श्री बिहारी लाल ब श्री जगदीश जी का झादि से झ्रन्त तक बराबर सहयोग प्राप्त होता रहा । मुक प्रसन्नता है, कि डायरे- बटरी को भ्च्छे से भ्रच्छे ढंग में प्रस्तुत करने को उन्होंने पुरा प्रयास किया है । ्रन्त मे, ओ व्यवस्थापन व सम्पादन मंडल के चेश्ररमेन तथा स॒दस्यगण का भ्रत्यन्त ही श्रामारी हू, जिनके भरयत्नौ से यह्‌ कायं सफलता पूर्वक सम्पन्न हुश्रा । इस कार्य मे हमारे प्रधात श्री शिवदयाल सिंह जी की श्रारम्भ से ही रुचि रही झौर उन्होंने पग-पग पर हमारा मार्ग-दर्शन किया । जब भी हमने कमज्ञोरी अनुभव की, उन्होंने हमारा साहप बढ़ाया श्रौर श्रदुर्व प्रेरणा दी । यही नही, सामग्री के सकनन, विज्ञापनों के प्राप्त करने श्रादि सभी कार्यो मे सक्रिय रूप से सहयोग दिया । व्यवस्थापन मंडल के चेभझरमेन लाला डिप्टीमल जी तो इस सम्पूर्ण योजना के पीछे शबित स्रोत रहे है। वे वयोवृद्ध है, किन्तु उनका उत्साह युवकों से कहीं श्रधिक है । शहर के उद्योग व्यापार भादि की जानकारी का एकत्रित करना दुस्तर कायं था श्रौ उनसे मी भ्रधिक था प्रकाशन के निये पःच हजार रूपये की धनरादि एकचित करना । लाला जीने लोगो से बारबार कहा, टेलीफोन पर प्रनेको ही बार स्मरण करवाया श्रौर जानकारी प्राप्त करवाई । श्रपने व्यक्तिगत सम्पर्कों से ही लगभग दो हज़ार के विज्ञापन तो उन्होंने टेलीफोन पर ही सुरक्षित कर दिये श्रौर शेष रादि के लिये हमारे साथ चलने मे भी सकोव नही किया । डायरेक्टरी की सामग्री को क्रम से व्यवस्थित रूप देने मे उनका ही प्रमुख हाथ है । लाना जी ने इस दुस्तर कार्य को सम्पन्न करने मे जो युवको सदृश परिश्नम किया वह श्रद्ितीय है । इस मे कोई अ्रतिशयोक्ति नहीं कि लाला जी के ही अनवरत्‌ प्रयततो का ही परिणाम है कि यह डायरेक्टरी श्रौर वह भी इस रूप में प्रकाण मे थ्रा सकी । शी श्रादौश्वर प्रसाद जी एम० ए० (यू० पी० एस० सी०) का सहयोग तो इतना विस्तृत रहा है कि इस सम्पूर्ण कार्य का कोई भी ऐसा पहलू नहीं जिस पर उनकी छाप न हो । योजना, सामग्री सकलन, प्रकाशन व्यवस्था, विज्ञा- पन प्राप्त करने श्रादि सभी कार्यों में वह मेरे साथ रहे हैं । इस कोयं मे भाई टेकवन्द्र जो, मित्र श्री सतीक्ष कुमार व श्री वकोलचंद्र का पूरं साहाय्य प्राप्त हुग्रा है, एतदथं मैं उनका हार्दिक श्राभारी हूँ । इतने बिशद क्षेत्र का यह प्रयम प्रयास है । झनेक प्रयत्नो के बावजूद भी बहुत सी कमिया रह. है । खेद है, कि हम डायरेक्टरी मे उतनी सामग्री नहीं दे सके है जितनी होनी चाहिये थी । हम उन सभी महानुभावो से क्षमा प्रार्थी है जिनके बारे मे इसमें जानकारी उपलब्ध नही को जा सकी है । समाज के सहयोग श्रौर सदुभावना से यह डागरेक्टरी प्रकाश मे श्रा सकी भौर उसी सहयोग व॒ सदभावना से भ्रागामी सस्करणो मे इसकी श्रपूणंता तथा भ्रन्य कमियो को दूर किया जा सकेगा, एसा विश्वास है । आज का युग सहकारिता का युग कहा जाता है । प्रस्तुत प्रयास सहकारिता के उस श्रनुपम सिद्धांत के महत्व की एक झलक है । यदि इस डायरेक्टरी म दी गई जानकारी समाज मे संगठन और सहकारिता की भावना कं। सचार कर सके, तो यह प्रयास सफल होगा । नयी दिल्‍ली, चक्रता कुमार कातिक कृष्णा चतुर्दशी मत्री, जेन सभा नयी दिल्ली , चीर निर्वाण सम्बत्‌ २४८




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