मगध | Magadh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६ )
जगसन्घ ने मोटे तग मीम के साथ मल्ल युद्ध करना पसन्द कर
शछ्पने वीर-मानस का परिचय दिया । चौदह दिन युद्ध हुश्रा } जरासन्ध
वुढा था ! थक गया था । हाँक रहा था । ऐसी परिस्थिति का फायदा उठा
कर युवक भीम ने श्रीकृष्ण का इशारा पाकर यके जरासन्ध को मार
डाला । नीतिहीन जरासन्ध का वल निल सिद्ध हृश्रा । जरासन्ध क बाद्
उसका पु सहदेव मगध का राजा हृत्रा।
विभ्बिसार का मगध
कुछ विद्वानों का मत है कि बाइंद्रय वश का श्रन्तिम राजा रिपुंजय
था | इसका पुलिक नामक एक श्रमात्य था । पुलिक ने षड्यन्त्र करके
रिपुंजय को मार डाला श्रौर श्रपने वालक नामक पुत्र को मगध की गदीपर
जैठाया । इस प्रकार मगध के सिंहासन से सदेव के लिये बाहद्रथ वंश का
श्रन्त हो गया ! पर बालक का शासन ठीक से स्थापित न हो सका । मगघ
के सत्रियो की भशी ने बालक के शासन को स्वीकार नहीं किया । उस काल
में कषत्रियीं की, जिनमें अधिकतर सैनिक होते थे, श्रनेक ऐसी श्रेणियाँ थीं,
जिनका. सगठन राज्य से सबंधा स्वतन्त्र होता था श्रौर जिनका
सहयोग पाप्त करना राजा के लिये परम श्रावश्यक माना गया है । मगघ
के चत्रिय श्रेणियों ने बालक के राज्य का विरोध किया । भट्टिय नामक.
एक सरदार ने मगध म विद्रोह कराकर राज्य सिंहासन पर श्रधिकार कर
चालक को मरवा डाला } पर भद्िय स्वय राज्य सिंहासन पर नही बेठा ।
उसने श्नपने लडके विभ्बिसार को मगध के सिंहासन पर बेठाया । भट्टिय
सेनिक दला कामेतादहीवनारदहा। बाद में शायद बरिम्निसार मगध के
राजा के साथ सैनिक दलों का नेता भी दो गया । इसीलिए, उसे श्रेशिक
बिम्बिसार भी कहते हैं ।
यही से मगध में नागवंश का शासन स्थापित दोता है। कुछ
विद्वानों का मत है कि मगध में सबसे पहला नाग राजा शैशुनाग है ।
पर कुछ लोग इसे नहीं मानते । हमारा काम इस विवाद में पड़ना नहीं
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