कणिका | Kanika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
बहुत कुछ साँस शझ्रनजानी निकलती है,
कभी कुछ साँस पहचानी निकलती हैं,
उधर तक चल सके ऐसी न कोई,
बहुत कुछ बात बेमानी निकलती है ।
( १५ )
नई कुछ साँस अनजानी निकलती है,
नई कुछ साँस पहचानी निकलती है;
किसे कह दूँ कि तुको जानता हूँ में
किसे कह दूँ तुे पह्चानता हमं
बैल. १७
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