नागरिक शिक्षा | Nagrik Shiksha

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Nagrik Shiksha by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुस्तावना श्री० भगवानदास जी केला ने हिन्दी में राजनेतिक साहित्य रचना का खासा काये किया है। उनकी रचनाओं से हिन्दी-भाषा-भाषी जनता भच्छी तरह परिचित दोचुकी हे । जिन विद्यार्थियों ने मागरिक शाख तथा भारतीय शासन पद्धति का विषय छिया है, उनके लिए ये रचनाएं अत्यन्त उपयोगी रही हें। अध्याएकों ने भी इन पुस्तकों के ठेखक के परिथम भर योग्यता की सराहना की होगी । नागरिक विषय सम्बन्धी उनकी यह पुस्तक राजनेतिक सादिव्य मे भौर भी. बृद्धि करती है; यह विशेषतया इख विषय को प्रारम्म करने बालों के लिए लिखी गयी है। अब तक नवयुवकों की दिक्षा में नागरिक दिक्षा को कुछ महत्व नहीं दिया गया। इस समय भी इस ओर जो ध्यान दिया जाने छगा है, उसकी गति बहुत दी मन्द है । इस लिए अधिक पुस्तकें प्रकादित नहीं हु । सावेजनिक सेवा के भावों से जिन थोड़े से लेखकों ने इस विषय पर लिखने का साहस्स किया है, उन्हें दिक्षा विभागों के अधि- ' छाशियों द्वारा समुचित प्रोत्साहन नददीं मिटा । राज्य प्रबन्ध सम्बन्धी सिद्धान्त आर कायं नवयुवकों के छिए रहस्यमय रहे हैं। उत्तम नागरिकता के भावों से, नवयुवकों के वचित रहने का परिणाम यह हुआ है कि उनमें सामाजिक चेतनता विकसित नदीं हो पायी, ओर उन्होनि समाज के प्रति अपने कतव्य पाटन म अवहेरटनां की । नागरिक विषय का अध्ययनं नवयुवक के भावी हित के टिप, केव उक्ल अवस्था में ही ` भायद्यक्र नदीं हे, जब कि उस पर पारेवार भौर नगर का क्य




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