संस्कृति और मानवशास्त्र | Sanskriti Aur Manav Shastra

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Sanskriti Aur Manav Shastra by गोविन्द शर्मा - GOVIND SHARMAरांगेय राघव - Rangeya Raghav

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रांगेय राघव - Rangeya Raghav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समाजशास्त्र : विषय ग्रौर विस्तार ॐ श्रोडम ने माना है कि संस्कृति, प्रौद्योगिकी और सम्यता के क्षत्र में मानव क्या उच्ति करते है उसका मापदण्ड समाजशास्त्र है ।१ एल्वुड ने माना है कि “समाजश्ास्त्र मे मानसिक झंतःप्रक्रियाश्रों द्वारा एक सा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्तियों के समुदाय समाज का श्रध्य- यन किया जाता है ।” * बटलर ने कहा है कि “हमारे संबंध समाज में या तो एक रस्सी से बंधे होते हैं, या चाकू से कटे रहते हैं ।” 3 समाजदास्त्र के इस प्रकार मनुष्य पर ही जोर देने से इसके आवश्यक अंग के रूप में मानवद्ास्त्र को स्वीकार किया गया है । उसके अध्ययन के बिना समाजशास्त्र का अ्रध्ययन हो ही नहीं सकता । मानवदास्त्र एक विज्ञान दै, परन्तु मानवशास्त्र समाजशास्त्र नहीं है ! मानवशास्व का कुछ भाग समाज- शास्त्र के भ्रन्तगंत आ्राता है । यहाँ यह देखना झ्रावइ्यक है कि मानवशास्त्र किस कहते हैं । मासवदास्त्र का भ्रं (1168117 (° + 111 प0मृण्हु ) मानवशास्त्र भ्रगरेजी करे राब्द ^ गण्श का हिन्दी रूपान्तर है। 40100010 ग्रीक भाषा के दो दाब्दों से मिलकर बना है} ~प जिसका श्रथं है, मानव तथा 10805 जिसका श्रथं है, दास्त्र--अर्थात सानवशास्त्र मनुष्य से संबंध रखने वाला शास्त्र है । इस शास्त्र के अ्रन्तगंत हम मनुष्य से संबंधित श्रनेक तथ्यों का झ्रध्ययन करते हैं । हरस्कोविट्स ने ठीक कहा है 1 58061010 उड ८ 80ंदा10८ एव $ तल ५, . , ऽ0लाल 15 ४016 1116166 ६09 ग छाकीस़वेघकाड ...8001010ु४ 15 ४116 216० र ६०,165, 3880612४ ६0९€ध1ला, ध16 111685प्€ पणो धप्रल्छ भललग्ट 19 ८णध्धा€, {ल्पना 224 लासाा122100 --(0तप 90८ 15 घट 9टीवघए़ा0पफता ग पादा लः, (0 एटा 11051111 2116 2त्‌]प{11€10६. (प 2 ऽनलः 2 इष्ठ ग पतरातपन्ऽ ४५० (थ 0. 2. एणएएफा 1 एर 0168708 0 2 टश ्हलाः४ल०१. -- 16५००५9 ॐ (षाः इ्डोडपिणा त्र ध€ तल्प घाट लापा धत्त पष & क0ए6 भ एप छिप 2 1111८. -- एप्पल




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