भारतीय चिंतन | Bharatiy Chintan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भारतीय चिंतन  - Bharatiy Chintan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रांगेय राघव - Rangeya Raghav

Add Infomation AboutRangeya Raghav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संतों की परम्परा ७ इसी दीघकाल में जो श्रनेक संत भक्त उठे हमे उन पर दृष्टिपात करना चाहिये । इसके साथ ही दो व्यक्ति श्रौर हैं - ईसा श्रौर मुहम्मद, जिनसे हमारे इतिहास का संत्रंध है। राजनैतिक विजेता हमारे विषय के बाहर हैं क्योंकि उनका दमारे धर्म से संबंध नहीं माना जाता । ईश्वर के तपने लोग' ही हमारे ग्रालेच्य विषय हैं । अनेक राजाश्ों ने धर्मों का प्रसार किया है किन्तु हम उन पर न जाकर वस्तुतः उन्हें देखेंगे जो धर्म के विपय में दूसरों का मुख नहीं देखते थे, जिनके नाम पर श्रनेक संप्रदाय चल पड़े हैं और भारत के विस्तीण' क्षेत्र पर दिखाई देते हैं । इन संप्रदायों की इतनी भीड़ है कि उसका संपूर्ण वर्णन करना अत्यंत कठिन काय है । हम इसे संक्षेप में ही देखेंगे। वाह्य के साथ संतों के श्रांतरिक रूपों को देखना भी आवश्यक है । वेदकाल में एक प्रार्‌ क्षि, मुनि तथा तपस्वी, तो दूसरी शरोर ब्रात्य । उत्तर वैदिक काल, सूत्रकाल मंशिवकेदोस्वरूपांकेसंत मिलते हैं। एक वे जो श्राय्ये सामाजिके व्यवस्था में ग्राह्म थे, दूसरे वे जो ब्राह्मण धमं से दूर रहते ये । तीसरे वे सत जो श्रागे चलकर श्रघोर रूप में परिणत हो गये। न्दी के साथ टी कापालिको, कालामुखों के श्रादि सूप, भृत-पिशाच की उपासना मं तंसारिकता से ऊपर उठे हुए लोगों को गिना जा सकता है | इतिहास काव्यों के काल में तथा बाद में भी जब घड्दशन, कम- काण्ड का प्राबल्य हुआ यही मुख्य दन्द्र दिखाई देता है । गौतम बुद्ध के समय से, अथवा मौर्य साम्राज्य के युग से एक नया रूप उपस्थित होता है । एक श्रौर बुद्धि-प्रधान क्षेत्र के श्रनुयायी भिल्लु बनकर दिखाई देते ह । इसी समय चारवाक का लोकामत धमं उठता है । इसके साथ पाशुपत धर्मावलंनी भिन्न-मिन्न संप्रदाय, योग तथा श्रन्य विचारा का श्नुगमन करते हुए मिलते हैं । इन्हीं पाशुपतों के श्रंतिम समय में कनफटे नाथ जोगियों के दर्शन होते हैं थो वज़यान के सिद्धों में घुल-मिल जाते हें श्र फिर श्रपनी परंपरा कुछ दूर श्रागे तक ले जाते हैं।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now