श्री अरविन्द और उनका योग | Shri Aravind Aur Unaka Yog

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Shri Aravind Aur Unaka Yog by लक्ष्मण नारायण गर्दे - Lakshman Narayan Garde

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ५] --अथांत्‌ जो कुछ भी करते हो वह मुझे अपण करो । 'सवेधर्मान्‌ परित्यज्य मामेकं शरणं वज्ञ ।' --समस्त धर्मोको त्यागकर केवल एक मेरी शरण हो आदि महावाक्यौको श्रीअरविन्दके योगकी साघना पूर्ण रूपसे कायम परिणत करती दै । यदि किसीको गीताके कमयोग; भक्तियोग ओर ज्ञानयोगका समन्वय ओर उनकी कायंमें परिणतिका दिग्द्शन करना है तो वह उसे पाण्डिचेरी- स्थित श्रीअरविन्द-आश्रममें खोजनेपर पा सकता है । प्रस्तुत पुस्तकमें श्री अररविन्दके जीवन; उनके योग और उनके शास्त्रकी बहुत ही संक्षिस चचा हे। इस पुस्तकके लेख श्रीअरविन्द-आश्रमके कतिपय साधकों ओर भक्तोंद्वारा लिखे हुए हैं । हमारा विश्वास हे कि इससे पाठकोंकी आध्यात्मिक खोजकी सुरुचिकी यथेष्ट बृद्धि होगी । भ्रीअरविन्दके विभिन्न ग्रन्थ शीघ्र ही इस प्रन्थमाखद्रार प्रकाशित किये जायेंगे । विनीत, मदमगोपार प्सु श




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