विज्ञान प्रयाग का मुखपत्र | Vigyan Prayag Ka Mukh Patra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vigyan Prayag Ka Mukh Patra by ब्रजराज - Brajraj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ब्रजराज - Brajraj

Add Infomation AboutBrajraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१४ | विज्ञान द्रजीव वणः प्रयोग में आते हैं । भट्टी वण से भी स्थाई रग प्राप्त होतेह शओ्रौर उसी भांति प्रयोग किए जाते हैं जैसे कि रेशमके प्रति । अद्धक्तोम पर श्याम राग लाना सबसे कठिन है और बहुघा प्राचीन क्चविधिसे दी रगा जाता हे) कचस्मा- नागारमें प्रथम तन्तुका दो तीन धरटै तक ५०श पर ताच्र गन्धेत एवम्‌ लोहस गन्धेतके मिश्रणसे बा वेधित करते हैं और फिर लागबुड फस्टिक तथा १३१/, साबुनके घोल द्वारा रग देते हैं। . श्याम नीत र'गनेके लिए तन्तु प्रथम नीला रग लिया जाता है! पक कठिनता दोनी वन्तुश्रौ पर पकसार रग लानेकी पड़ती है और इसको दुर करनेके लिए लागवुडकी स्फटा मील मली भांतिसे प्रयाग झा गई है । छृजिम क्तोम र'गनेमे उन सत्र रर्गोक्रा प्रयोग हो सक्ता है जो सूतके साथ प्रयाग होते हँ किन्तु सव प्रकारके छचिम तन्तु श्स विषयमे पक्सेदही नहीं रहते । चिद्धोज्ञ, सिनिग्धोद्‌ तथा शारदोनेत क्तोम अवश्य एक से दही रहते हें और सवके निमित्त स्थायी वर्ण भले रहते हैं : गन्धक वण भी खुन्दर कान्तिमिय वण देते देँ । ्षारमय वणं पदार्थो क रङ् अधिक पृण नहीं होते वरन्‌ गहरे रङग रेशम क्ता हरिमिन तथा वमन-इमलिक-लवण (2118 6161८) द्वारा वां वेघित कर क्तेनेसे श्राजाते ड शुद्ध न्ञौमकी दी तरह से मद्री वशं मी प्रयोग किण ज्ञाते हैं और इस समुदायके सभी सद्स्य छिद्रोज तथा स्निग्धोद्‌ चौम उचित रहते हैं परन्तु शारडो नेतमै केवल वही प्रयोग किए जा सकते हैं जो शीतल दशामे रड़ सकते हैं । इस प्रकारसे प्राप्त सभी रड़ सब प्रकार स्थायी रहते हैं | 0617 वर्णोद्न 8112806 भल 25 {२७ ए स्थ श्ररुसश् 53 स्नानागार, आशय एलापा {त्प वातायनिक (12.186 {1 { € 3211165 { 3111116 8५1५ 1 `1220{1521011 49110511 {2717010 11601781156 {.0516 12011156 {1102116 1210176 & 1111106 01261 1२०५6 0€7816 1110811 प7ला1€ 1111110६ ४211728 285 508 | 1 प्€४ ९८५ 21201857 २६ ( [., (21161) (2110 02.४16 11101.21721716 ८६६]7-०}2 ६४ (03$&€7 (3 22516 0$€§ ॥ 11155181: 1र104217701106 8५2116६ 1९0वण]17€ 01396 4 पाह राला] 71111276 कि 711 | भाग € नि ति निसभवमामम्र त त न की कि कि ५५५ नारज्ी २... चतुरजीविन्‌ हरिमिकाम्ल इयजीव करण ऊषिन हुरिमिन शिथिल प्रभिन स्थिर करना गुलाब खिचित नीलमन्‌ नी लिन्‌-श्याम गुलाब विकस्िन ्रनग्रीन चक्रन भट्टी करण काष्ट साबुन तुकं लाल बानजों स्थाई अरुण प ह माजूलिन मांजू वनरू + तिम ह रिद्‌ामिन क्च श्याम स्रोषजन वाहक लारमय व॒ दारील बे जनी रोद्भिन रक्त रोटलिन नार गी स्वणिन दिव्यील दारेन ^ 610 420 0$€ 51०5 श्म्नत श्रजीव वण 785६ इष्त्ला [ 21117171 स्थायी हरा हरिमिन 13111112 7६ ^ ढणता1€ 3 @ काति पज्ञरिन ४१। (61111६21 3610106 केन्द्र गतिंत यन्त 6116107६ चणित करना (1 01690 ह)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now