विज्ञान प्रयाग का मुखपत्र | Vigyan Prayag Ka Mukh Patra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
145 MB
कुल पृष्ठ :
619
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटी है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ | विज्ञानद्रजीव वणः प्रयोग में आते हैं । भट्टी वण से भी
स्थाई रग प्राप्त होतेह शओ्रौर उसी भांति प्रयोग
किए जाते हैं जैसे कि रेशमके प्रति । अद्धक्तोम पर
श्याम राग लाना सबसे कठिन है और बहुघा
प्राचीन क्चविधिसे दी रगा जाता हे) कचस्मा-
नागारमें प्रथम तन्तुका दो तीन धरटै तक ५०श
पर ताच्र गन्धेत एवम् लोहस गन्धेतके मिश्रणसे
बा वेधित करते हैं और फिर लागबुड फस्टिक
तथा १३१/, साबुनके घोल द्वारा रग देते हैं।
. श्याम नीत र'गनेके लिए तन्तु प्रथम नीला रगलिया जाता है! पक कठिनता दोनी वन्तुश्रौ परपकसार रग लानेकी पड़ती है और इसको दुर
करनेके लिए लागवुडकी स्फटा मील मली भांतिसे
प्रयाग झा गई है ।छृजिम क्तोम र'गनेमे उन सत्र रर्गोक्रा प्रयोग
हो सक्ता है जो सूतके साथ प्रयाग होते हँ किन्तु
सव प्रकारके छचिम तन्तु श्स विषयमे पक्सेदही
नहीं रहते । चिद्धोज्ञ, सिनिग्धोद् तथा शारदोनेत क्तोम
अवश्य एक से दही रहते हें और सवके निमित्त
स्थायी वर्ण भले रहते हैं : गन्धक वण भी खुन्दर
कान्तिमिय वण देते देँ । ्षारमय वणं पदार्थो क
रङ् अधिक पृण नहीं होते वरन् गहरे रङग रेशम
क्ता हरिमिन तथा वमन-इमलिक-लवण (2118
6161८) द्वारा वां वेघित कर क्तेनेसे श्राजाते ड
शुद्ध न्ञौमकी दी तरह से मद्री वशं मी प्रयोग किण
ज्ञाते हैं और इस समुदायके सभी सद्स्य छिद्रोज
तथा स्निग्धोद् चौम उचित रहते हैं परन्तु शारडो
नेतमै केवल वही प्रयोग किए जा सकते हैं जो
शीतल दशामे रड़ सकते हैं । इस प्रकारसे प्राप्त
सभी रड़ सब प्रकार स्थायी रहते हैं |0617 वर्णोद्न8112806 भल25 {२७ ए स्थ श्ररुसश्
53 स्नानागार, आशय
एलापा {त्प वातायनिक(12.186 {1{ € 3211165
{ 3111116 8५1५
1 `1220{1521011
49110511
{2717010
11601781156
{.0516
12011156
{1102116
1210176
& 1111106 01261
1२०५6 0€7816
1110811 प7ला1€
1111110६
४211728285 508 |
1 प्€४ ९८५21201857 २६ ( [.,(21161)(2110 02.४16
11101.21721716
८६६]7-०}2 ६४
(03$&€7 (3
22516 0$€§॥ 11155181:
1र104217701106 8५2116६
1९0वण]17€ 01396
4 पाह
राला] 71111276कि 711| भाग €नि ति निसभवमामम्र त त न की कि कि ५५५नारज्ी २...
चतुरजीविन्
हरिमिकाम्ल
इयजीव करण
ऊषिन
हुरिमिन
शिथिल
प्रभिन
स्थिर करना
गुलाब खिचित
नीलमन्
नी लिन्-श्याम
गुलाब विकस्िन
्रनग्रीन
चक्रन
भट्टी करण
काष्ट साबुन
तुकं लाल
बानजों स्थाई अरुण प ह
माजूलिन
मांजू वनरू + तिम
ह रिद्ामिन
क्च श्याम
स्रोषजन वाहक
लारमय व॒
दारील बे जनी
रोद्भिन रक्त
रोटलिन नार गी
स्वणिन
दिव्यील दारेन^ 610 420 0$€ 51०5 श्म्नत श्रजीव वण785६ इष्त्ला
[ 21117171स्थायी हरा
हरिमिन13111112 7६ ^ ढणता1€ 3 @ काति पज्ञरिन ४१।
(61111६21 3610106 केन्द्र गतिंत यन्त
6116107६ चणित करना (1 01690 ह)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...