भाषा ज्ञान एवं रचना बोध | Bhasha Gyan Avam Rachana Bodh

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Bhasha Gyan Avam Rachana Bodh by सत्येन्द्र चतुर्वेदी - Satyendra Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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षवद बोधं १५ प्रयोग--राम बड़ा ही उद्धत लड़का है। वह सदा ही दुसरों से छेड़छाड़ किया करता है । यह्‌ उ यतते यार 1 गा, प्रेयोग--मैं सब कुछ करने को उद्यत हं वशत कि मै पास हो जाऊ । ८. कुलल्वंदा । का प्रयोग--राजपुत श्रपने कुल की मर्यादा का सदा ध्यान रखते थे । ग्रीन कुल तट, किनारा । प्रयोग--वाढ़ के कारण इस नदी के दोनों कल दूर तक कट गये हैं ! पने ६. उद्य मप्रयत्न । के प्रयोर--चिना उद्यम कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता । उधम=उपद्रव । तक प्रयोग--मोहन श्राजकल बहुत उधम मचाने लगा है ॥ ९०. गरन्वाण । ई! प्रयोग--तीक्षण दारो से विद्ध होकर चह्‌ रणशषे्र मे गिर पड़ा 1 नु- सरस रोबर, तालाब 1 प्रयोग--सब सरों मे सानसरोवर पवित्र मानी जाती है! करौ ९१. छुल्कल्फीस, चन्दा 1 श प्रयोग---दइस पिका का वार्षिक शुल्क क्या है ? दि शुक्ल =स्वच्छ, सफेद । द प्रयोग--मेरा जन्म शुक्ल प्ष में हुग्र था । हस के पंख शुवल होते हैं । ४ १२. प्रसादन्छषा, देवता का भोग । १ प्रयोग--शुरुजनों के प्रसाद से मेरा कार्य सफल हो गया । उत्तीर्ण होने ६ पर उसने गणेशजी क प्रसाद चदाया । प्रासादल्महल ही गोग प्रयोग~-भव्य प्रासादो मे निवास करने वाले उन दीन-दुखियों के कट + ४ ह्‌ को क्या जाने जो सड़क पर सोकर रात ग्रुजारते हैं । ९३. श्रंसन्कन्धा दि लए




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