डिंगल गीत साहित्य | Dingal Geet Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
365
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डिगल गीत साहित्य [३
मंग्रहानयों के घ्रतिरिक्त श्रनेक व्यवितियों के संग्रदों में हजारों हस्तलिसित ग्रन्थ संग
होत हुए हैं । इन ग्रन्यों का सर्वेक्षण करने से प्रतीत होता हैं कि पिंगल के प्रनुपात
में डिंगल की कृतियां कम नहीं हैं ।१ डिंगल का बहुत-कुछ प्राचीन सादित्य भ्रमी
प्रकाश में नहीं ग्राया है ग्रौर वहुत-सा साहित्य ब्रमी तक कण्ठश्य है ।* १६ वीं सता-
ब्दी के पू्व॑ का तो कितना ही बहुमूल्य साहित्य लुप्त हो चुका है । उसके पस्चात्
भी मौखिक परम्परा पर जीवित्त रटने वाते कितने टौ डिल गीत तया दोहे आ्रादि
विस्मृति के गर्त में सो गए होंगे ।
इस स्पप्टीकरण के पश्चात् हमारे विवेच्य विपय (डिगल गीत साहित्य) का
प्रघ्ययन प्रस्तुत करने के पूर्व प्ृष्ठ-मूमि के रूप में यहाँ राजस्वानी साहित्य का. विहूं-
गावलोकन करना वांछनीय है ।
(३) राजस्थानी साहित्य एक विहूंगावलोकन--
ग्रावुनिक भारतीय मापाओं के साहित्य में राजस्थानी साहित्य का श्रपना
महत्व है । यह साहित्य गय तथा पथ के माध्यम से बहुत वड़े परिमाणं में लिखा
या है । “नित्त परिमाण में यहाँ साहित्य-सृजन हुआ हे, उसका कुछ ही झ्रश प्रकाश
में झ्राया है । अनगिनत हस्तलिखित ग्रथों में वह मुल्य सामग्री ज्ञात-म्रज्ञात स्वानों
पर विखरी पड़ी है । काव्य, दर्यन, ज्योतिष, शालिहोत्र, संगीत, वेदान्त, वयक,
गणित, शऊुन ग्रादि से सम्बन्धित मौलिक पग्रथों के अतिरिक्त कितने ही संस्कृत,
प्राकृत, फारसी रादि के प्राचीन ग्रथों के अनुवाद व टीकाम्रों का निर्माण यहां हुमा
है (3 विवेचन की सुविया के लिए उक्त साहित्य को हम निम्नलिखित वर्गों में
विभक्त कर रहे हैं :
(क) जेन साहित्य
(ख) चारणं साहित्य
(ग) सक्ति साहित्य
(घ) लोक साहित्य
(ड) अनूदित साहित्य
(क) जन साहित्य--
जैन साहित्य प्राय: जैन यतियों तथा उनके श्रावकों द्वारा लिखा गया है
अधिकांश साहित्य घामिक एवं उपदेशात्मक है । धर्म-गुरुंओों, घर्म-परायणु भक्तों
(१) राजस्यानी सवद कोस (शरूमिका) सं ° सीताराम लालस, धृ ८७
(२) वही 1
(३) खजस्यानी सवद कोस (भूमिका): प° ८३
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