भारत और विश्व - राज | Bharat Aur Vishv Raj

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Bharat Aur Vishv Raj by दीनानाथ वर्मा - Dinanath Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 भारत बौर चिश्व राजवाति हकार युनाव्देड किगटम { प्रणमल्त्‌ एण्य ) है जिखका भारतीय साम्ाय एक मश साथ है। 2 'मारताय देशी रियासत की स्थिति भी इसपर काइ मित ने था ।रे उन्हे चदेशिव सम्बवा पर द्विटिश के एन. ( प्र एििण्शण है को पूर्ण नियजरा था। 'ब्रिटिग सरकार के भारत स्थित प्रतिनिधि लतरा्राय सधियों को लपना रा डानुसार देवा रियासवों पर गू क्र सक्तये। यदि प्रिटिग सरकार युद्ध का पायणा सती खयवा नाति ममपौत्ा करती या तटस्य दप्टिकाण नपनाती ता दा रियासत रा भी इनम शामिल हान के लिए वे बाध्य कर सकत थे । य सारा वातें प्रिटत वा इच्छा पर निभर बरती थी. दी ह यासठों के नरतों की इच्टा सा इसमे वाई महाब नहीं था 1? अतरा्ट्राय विधि के अतगठ उनकी स्थिति वा वन विनिवम ती वानरननिम्नक्तिशने मन्य है भारे सरकार मौर दनी श्यासता दे 'पारस्रिक सवों मे अतर्रष्राय विधि के सिद्धातों का कार सर्व नदों या । दा पाप बिटिश काउन का अधिसनता [ एदरवप्पण्यकलु/ भी एवा दत 9} क अतर थे और इस बारण “न पर ब्रिशि सरकार का पूण विधधण था । * सप्रकार यह स्पेप है कि ब्रिटिश राय बी स्थापना के परान अत्तर्रा तय सन में भारत का अपना कोट पूरक स्थान मदों रहा । ठ तर्र्ट्रीय राजनानि के रगमच पर भारत वी स्यिति एक दछिंतीन के सदश हो गयी जो न रन कइटिया जाफ्सि मं वठ मारत मचिव [ 56८8४ ५ 31316 णि 9६ ) के लगाए पर खर्पों तर न्यचवी रहा । अतर्राप्टीप “गठ्त में मारत का स्थिति--मारत वी इस असहाप बोर परा वशम्बौ धिति को दक्र यद्‌ समन वना गवत दोगा क्रि मवरोनेय गान्नाति के श्रम न्सका कौर महत्व नहीं रहा । चस्ठु इस स्थिति मे रहने हुए भा भारत चाह बनचाद हवा एरोस रूप से पर्दा पेय राजनीति में प्रमुख सूपिका पे विवाहं करणा रहा 1 र नीएव। तथा दीदवा “तान्या मब्रिट्शि दिन्नं नीतिकं पूत 1 भटञढत टव्मृधलस ०८८ (लह क (कलवा 1.40 (1913) 9 275 2 ब्रिटिए व्यवने भारवदोरारनातिक सवाय मवराट्रवाया ब्रिरिश नान्व निषपर मारत सरकार का प्रयत शान था ( रविन देगी ( यास्क निनकी मन्या तगम 562 थी र्ना फ्‌ मामा म स्वायत्तता प्राप्न स्यि हुए थीं । नार सवार बोर दशा रियायिठा के पास्परिक सवधा का निधारण पहर के साध समरत के आवार पर होता था । वदधिक मरासनामवे पूण्तया लिटिश सरदार के अधीन रही थीं 1 3 है 2 ल्श 1 (4 द प्रान ५ 2790 ए 19 220 4 एको) (/च्ट एक्ट द्र ९ दण्ल्यष्द कष्टः ९ 44 1 5 6 पणत ण 1515 083 06८8 108 ण 8 छुभफप 15910 2 एष्य कपे टरदे ९ पमण एव प्छ पष्ट एषयति [ल्ल भ्यव कण [ए टण्णी 1८६ 9५६ घर ठ 3(६ 0६७ दा००डाफ्ड्ट जा पाते 18 छप द्व्य धम -नरि ? एप 2१८ वन्यः (1949) 9 502




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