स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कथा-साहित्य और ग्राम-जीवन | Swatantrottar Hindi Katha Sahitya Aur Gram Jeevan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
552
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय सुचो
प्रस्तावना पृष्ठ १७-६१
स्वात्योतर शब्द का बर्य--स्वातंत्योतर कथा-साहित्य का भिन्नत्व--
आलोच्य कालावयि का महत्व -कथा-साहि्य मे अभूतपूवं क्रन्ति-नयी कहानी
आन्दोलन--कहानी; बेदद्रीय साहित्यिक विषा-नयी कहानी का मारम् ग्राम
जीवन से-प्राम-जीवन कौ उपेक्षा-नवत्तेवन ओर प्राम-जीजन का यथाथं--
ग्राम-जोवन के कथाकार-~ग्राम-कथा और आधुनिकता--पत्र-पन्तिकाओ का
सर्वेक्षण--नवीनतम युवा लेखन--ग्राम-जीवन के प्रति उपेक्षा ओर विरक्ति के
कारण
प्रथम प्रध्याय
स्वातेऽपोतर भारतीप ग्राम-जीवन पृष्ठ ६३-११३
स्वतेत्रतापूवं ग्राम-जीवन--स्वातंश्योतर बदलाव : पंचवर्षीय योजनाये--
सामुदायिक विकास योजना-पंचायत राज--सहकारी सनिति कुटीर
उद्योग और भूमि सुघार--व्यापक, मामून किन्तुं प्रमावहीन परिवतन--
गव कौ हीनं स्विति, गौयोगीकरण ओर अकाल--हुरी क्रान्ति--ग्रामोत्थान
की नयी दिणा सौर घना कुहरा ।
द्वितीय प्रध्याय
स्थातंत्योतर् फया-स)हित्य मे प्राम-जोवन पृष्ठ ११७-१७७
(कृतियो भौर कृत्तिकारों का सर्वे्षण)
(९) वैविध्य भौर काल-दृष्टि।
(२) वर्गीकरण ।
श--सामान्य कथा-साहिस्य ०. «
क. दैणकाल निरपेक्ष सनातन भूत्य
ख, प्ेमघन्दे कौ परम्परा के परिपेक््य
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