चिक्क वीरराजेन्द्र | Chikk Veerrajendra
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
365
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्नाक्कधन
रह एक देश होने झे राप-साप उमें रू
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था जिददे डदेये दे भी दर्शन किये हों दोर उसो ने दंदा रो भी रेखा हो
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हरप्रन्द ढा डीदन अपने-अपने ढेंय का था । हर पास्त में ऋरेक इशारे थे ये
इसीलिए परेड प्रात्त का इतिहास भी शिसी देश के इतिटास के समंदर रिश्टुज
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भारव कषर छोटा-चा हिस्ता है पर उसके भी शीसियो भाप है ३ लेक रुप
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धमे, निष्ट, ठेब, वौरवा मौर घडा का उष भूमि में स्तिने सहज स्राशरिक
सेदिक्राच टुआ है। साथ हो कुरोतियों, विनर, रंदाशेदरदा आर सोभ कर
दिकंजा भो कितना विकट रहा है। यों 'इहुरला बुःभेत) बलो शटादस सत्य
हैही परन्तु भारत-भूमि के सन्दभ में यह अशरपः शोक है। दिसो भो दान्त के
इतिहास को उठाकर देखा जाये तो वह मोह री थौर यपोधदल भी है घोर सराप
हो मागंदर्गन भो करता है 1
छोटे-से कोडग प्रान्त के इतिएासं भें भी थे पौनों वां डिदेद रूप से एरि०
सप्तित होतों हूं । सह्यादि पद॑त धेणी भग्दई से पुर होकर दशिय को शोर पसरी
है। रास्ते में पश्चिम समुद्र को ओर देपते हुए बहू निरम्तर षो रोसो यपो खतो
है मर नीलगिरि में जा मिलती है। गीतगिरि में जा मिलने से पहले कोश्प प्रेत
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