भारत में वुलगानिन | Bharat Mein Vulaganin
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
देश के वच्वौ तके पर्चा द किं चाचा नेहरू का जा स्वागत झापके देश
मे हुश्रा है, उसके लिये हम चिरङृतन्च ह [--शावास लड़की | बे
साहस का समयोचित कार्य करिया है । निधौरित कफर्थक्रम मे यह न रहने
पर भी इस लड़की ने कमाल कर दिया | मालाः पिना दी ई उपने
दोनो नेताश्रनौ को श्चौर श्रधिकारी हक्रा-वक्रा ह, कारम मेँ यह केता व्यव
धान । नेहरू घत्ड़ाये नहीं | सुस्करा रहे हैं | श्रौर श्रब देखिये |
मश्च पर नेहरू बोल रहे हैं । नेहरू का स्त्र””लाखें श्रादमियों के
कानों से यकराता है । रेडियो' कामेन्टेटर चुप है। नेहरू बोल रहें हैं---
“मुझे बहुत खुशी है, श्रापका स्वागत करते हुए | पहली बार भारत
की जमीन पर श्रापके कदम पड़े हैं। झापके और हमारे देश करीब हैं,
फरीब-करीब पड़ोसी देश हैं | पर पुरामे' जमाने में हमारे श्रापके सम्बन्ध
बहुत घनिष्ठ नहीं रहे । माग्धवश श्रव रोज-ब-रीज इसारे तालुकात बढ़ते
जा रहें हैं ।
कुछ महीने पहले मैं श्रापके देश में गया था । जि मुम्बत शऔर
उत्साह से वषा मेश स्वागत हश्रा, उसे मै कमी भूल नदीं सकता | मेरा
विनार है फि मेरे जाने से हमारे सम्बन्ध बढ़े श्र मेरा यकीन है कि
छात्र झापके झाने से हमारे सम्बन्ध शरीर तालुकात चढुत तरद से बढ़ेंगें
ौर बहुत सारी बातों में हमारे दोनों देश एक दूसरे से सहयोग कर
सकेंगे । श्रीर इससे हमारे दोनों देशों का लाभ होगा शरीर पुमिया में
श्रमन दोगा | मैं श्रापका फिर से स्वागत करता हूँ ।”
ताशियों की गढ़गड़ाइट'*' “मशर पर पुष्प-वर्पी हो रही है। माशल
बुन्नगानिन माइक फे सामने हैं । श्रपनी सादमाषा में वह अभिनरंदूस का
उत्तर दे रहे हैं। जनता एकदम शास्त पढ़ गई है । रूसी भाषा का धारा-
बाहिक सर सुनायी पड़ रहा है |
रूक्ष का शी एक व्यक्ति ्रलुवाद करता है |
भार्य प्रधानमंत्रीजी और प्यारे दोस्तो ! हमें खुशी है कि छापकि
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