सूमके घर धूम | Soomke Ghar Dhoom
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
41
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ ` | सूमके धर धूम ।
बिहारी--सबने देखा है 2
असामी छखोग--सबने !
बिहारी--ह--^35 किसी तरह टिक नहीं सकता ।--
इतने पर भी अगर कोई जिन्दा रहै तो--
दौरुत०--( आग्रहके साय ) तो फिर ?
बिहारी--तो वह जीना नामंजूर् ।
दौकत ०--- विहारी ! तुम मी क्या सुज्ञको नहीं पहचान सकते
बिहारी--इससे अधिक मे कुछ नहीं कह सकता | प्रथ्वी पर
कभी कभी दो आदमी बि्करुर एक ही सूरतके देख पड़ते हैं । जैसे
जोड़ियाकी पैदाइदा । इस बातका कोई प्रमाण नहीं कि दौलतरामके
बापको दो जोड़िया लड़के नहीं पैदा हुए थे । दौलतरामके पितासे
कभी यह बात प्ूछी नहीं गई । और इस समय उनसे प्ूछना मी
असंभव है, क्योंकि वे इस समय स्वर्गमें हैं ।
दौरत ०--टेकिन भै तो कहता ह ।
बिहारी--भप्रकी बात मानी नहीं जा सकती | आप कौन हैं
यही तो मामला पेश है । अगर मैने आपको दौरुतराम मान ही छ्य
तो आप साबित क्या करेंगे ? आपके कहनेसे कुछ साबित नहीं होता।
दौछत०---तो फिर कैसे साबित होगा ?
बिहारी--आपके कोई गवाह है ?
दौछत०--नहीं । और उसकी जरूरत ही क्या है
बिहारी--ये सब लोग एक स्वरसे कहते है कि आप सेठ द्ौल-
तराम नहीं हैं ( अंसामियोंसे ) क्यों ! आप लोग कहते हैं न ?
ॐ ^
के
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