सूमके घर धूम | Soomke Ghar Dhoom

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Soomke Ghar Dhoom by द्विजेन्द्रलाल राय - Dwijendralal Ray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ ` | सूमके धर धूम । बिहारी--सबने देखा है 2 असामी छखोग--सबने ! बिहारी--ह--^35 किसी तरह टिक नहीं सकता ।-- इतने पर भी अगर कोई जिन्दा रहै तो-- दौरुत०--( आग्रहके साय ) तो फिर ? बिहारी--तो वह जीना नामंजूर्‌ । दौकत ०--- विहारी ! तुम मी क्या सुज्ञको नहीं पहचान सकते बिहारी--इससे अधिक मे कुछ नहीं कह सकता | प्रथ्वी पर कभी कभी दो आदमी बि्करुर एक ही सूरतके देख पड़ते हैं । जैसे जोड़ियाकी पैदाइदा । इस बातका कोई प्रमाण नहीं कि दौलतरामके बापको दो जोड़िया लड़के नहीं पैदा हुए थे । दौलतरामके पितासे कभी यह बात प्ूछी नहीं गई । और इस समय उनसे प्ूछना मी असंभव है, क्योंकि वे इस समय स्वर्गमें हैं । दौरत ०--टेकिन भै तो कहता ह । बिहारी--भप्रकी बात मानी नहीं जा सकती | आप कौन हैं यही तो मामला पेश है । अगर मैने आपको दौरुतराम मान ही छ्य तो आप साबित क्या करेंगे ? आपके कहनेसे कुछ साबित नहीं होता। दौछत०---तो फिर कैसे साबित होगा ? बिहारी--आपके कोई गवाह है ? दौछत०--नहीं । और उसकी जरूरत ही क्या है बिहारी--ये सब लोग एक स्वरसे कहते है कि आप सेठ द्ौल- तराम नहीं हैं ( अंसामियोंसे ) क्यों ! आप लोग कहते हैं न ? ॐ ^ के 1




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