साहित्य - वाचस्पति सेठ कन्हैयालाल पोद्दार अभिनंदन - ग्रंथ | Sahity - Vachaspati seth Kanhaiyalal Poddar Abhinandan - Granth

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Sahity - Vachaspati seth Kanhaiyalal Poddar Abhinandan - Granth by वासुदेवशरण अग्रवाल - Vasudeshran Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भके ( ६ में श्री बासुदेवशरण जी श्रौर प° जवाहरलाल जी चतुर्वेदी ने झभिप्नायों का संकलन किया । भी वासु- देववारण जी ने बहुमूल्य ऐतिहासिक और प्रामाणिक चित्रो को व्यवस्था करायो । इस प्रकार २६ जनवरी १६४७ को जिसका सकल्प किया गया था वह महानु श्ौर पुनोत कार्य श्राज संपूर्ण हो रहा है, ६ वर्ष की दीघं भवधि श्ौर उसी के श्तुकूल परिश्रम के उपरांत । ग्रथ की मूल रूप-रेखा यह प्रंथ एक हजार पृष्ठ से कम का नहीं होगा । इसमें भारत के प्रसिद्ध चित्रकारो के भ्रनूठे चित्रो की भी यथास्थान सयोजनाए रहेगी । विविध लेख भी यथा संभव सचित्र होगे । यह श्रथ अपने ढग का बिल्कुल नया हग । इसमे सेठ जी का परिचय तो होगा ही, सके प्रतिरिक्त निम्न खंड रहेंगे-- १ भ्रलकार साहित्य-खड दस खड मे सस्कृत और हिंदी के श्रलकार-शास्त्री का एति हासिक श्नौर तुलनात्मक दृष्टि से विक्ञद अध्ययर्न श्रौर शोधे-पूणं सामग्री रहेगी । २ त्रं सस्कृति कला-ड त्रज की सस्कृतिश्रौर कला सवघी प्राय प्रत्येक ज्ञातव्य वातो पर शोव-पू्णं निवध इसर्मे रदेगे । ३ धमं-खड इसमे ब्रजकी धघामिक देन और विवि सप्रदायो पर रचनाएँ रहेंगी । '४ पुरातत्व भौर इतिहास-खड इसमे ब्रज का भूगोल, पुरातत्व श्ौर इतिहास सबघी विषयो का निरूपण होगा । ५ स्ाहित्य-दोव-खड व्रज-माषा रौर साहित्य की शोघ का विस्तृत दिम्दांन इस खद का विषय होगा 1 ६. हिंदी साहित्य-खड हिंदी-साहित्य के रचनात्मक तथा श्रालोचनात्मक रूपो का परिचय । ७ न्रज-परिचय सड ब्रज का विविध दृष्टियो से परिचय--पद्ु,पक्षी,जन, उद्योग-घघे आदि । ८ वृहत्तर ब्रज-खड मे ब्रज ,का सस्कृत्, बगला, गुजराती, मराठी आदि मे जो रूप श्ौर महत्व रहा है उसका परिचय रहेगा। इनके साथ उच्च कोटि के कवियों की कविताओ का मी सग्रह इसमे होगा । € मारवाड तथा मारवडी-सादहित्य पर भी एक खड रहेगा । सक्षेप मं यह्‌ अभिनंदन-प्रंथ भ्रमुखतः “श्न का सांस्कृतिक विक्व-कोश होगा पर यह सिद्ध सत्य था कि न तो रूप-रेखा से किसी लेखक को पूर्णतः बाँघा जा सकता था श्रौर न लेखक प्रत्येक विषय पर साघिकार लिख सकते थे। प्रत्येक लेखक अपनी सीसाझओ को स्वोकार करके ही सहयोग दे सकता था ! फलत. उक्त योजना के श्रनृसार पूर्ण सफलता मिलना तो सभव कहाँ या, इसी कारण संपादन- समिति ने उसे इहराया 1 इस समिति ने प्रथ को जो रूप प्रदान किया था उसके श्रतुसार सामग्री का चकलन भ्रौर स्थादन हो चूकने पर जब पं० जवाहरलाल चतुर्वेदी जी को मुद्रण का मार सोपा गया भौर उन्होने समस्त सामग्री का निरीक्षण किया तो उन्होंने भी कितने ही उपयोगी सुझाव रखें । प्रधान संपावक से उनसे परासदों करके ग्रथ को भरतिम रूप दिया । इसी अतिम रूप मे यहु ग्रंथ प्रस्तुत किया गया हूँ। यह प्रथ पाच खडो में ह-- प्रथम--जीवन श्रौर झमिनदन-विषयक खडरू । दूसरा--सादित्य खड । तीसरा--सस्कृति (लीला) इं चोथा--इतिहास खड । पाँच्वाँ---जनपदीय खड ।




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