बेलून बिहारे | Belun Bihare
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पंडित शिव सही चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी नामक गांव में हुआ था | इन्होने कई पुस्तकें लिखीं किन्तु समय के साथ साथ उनमें से कुछ विलुप्त हो गयीं | ये एक अमीर घराने से थे और बचपन से ही कला में रूचि रखते थे |
इनके वंशज आज जबलपुर जिले में रहते हैं और शायद ये भी नहीं जानते कि उनके दादाजी एक अच्छे और प्रसिद्ध लेखक थे | इनके पौत्र डॉ. प्रियांक चतुर्वेदी HIG 5 शिवनगर दमोहनाका जबलपुर में निवास करते हैं |
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा परिच्छेद । र
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चाहता है! उ; कसी दुराकांचा है ! कंखा पागलपन इ!
झूगल पचीकों सी परास्त करना चाहता है ! उसे इस बैठव
कार्यसे रोकना चाहिये । सुफ़े जान पड़ता है कि, यदि में उसे
बाधा न दूँ, तो व एक दिन चन्द्रलोकको यात्रा करेगा!
केनेडी अधिक विलग्ब सन नहीं कर सका, वद सिचव
लिये चिन्तित होकर उसो राचिको लन्द्नक्ते लिये रवानाष्टो
गया । सिरे जिख समय फगुखन अपने निजन कमरेसें
चिन्ताममन डारहाघा, उसो समय केनेडोने जाकर टरवाज्ञा
ख॒टखटाया ।
किवाड खोलतेरी फगु सनने विस्सयके साथ कहा,“
डिक ड ? फगुखन् मसिव्को क् कहकर दो पुकांरता था।
केनेडोने सिरसे टोपौडउतार कर कदा,
_ “हाँ, में हो हा ।”
“न तो शिकार का अवसर है, शिकार छोड़कर लन्दन
केसे आये ?”
“एक पागल आादसीकों ठण्डा करनेके लिये आया हा ।”
“पागल १ पागल कौन डे?
केनेडीने “उलो टेलिग्राफः क एक अंशको फशु सनके
सामने रखकर कद्ा,-
“यद्ध बात जो इसमे लिखो ₹ै व्या सच हे?
“बस, केवल इसो बातके लिये इतने व्यस्त होरहे हो ?
श्रच्छा, खडे क्यों हो, वेठ जाग्र न ।”
म्
नोक
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