पुरुषार्थसिद्धयुपाय | Purusharth Siddhayupay

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Purusharth Siddhayupay by क्षुल्लक धर्मानन्द - Kshullak Dharmanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है। समुचित सुन्दर सतुश्रुत के इस नये अवतार का समादरपूर्वेक स्वागत करते हुए आज प्रसन्नता का ही अनुभव हो रहा है । समाज में भी इसका स्वागत ही होगा । मेरा अहोभाग्य रहा है कि पू० क्षुल्लक जी के निदछल पवित्र जीवनी को और धर्मप्रवण प्रवृत्तियों को निकट से बाहुबली (कुम्भो ज) में देखने को मिला । आपके निरपेक्ष वात्सल्य भावों की अविरत वर्षा होती रही जिसके लिए आपका कृतज्ञ हूं । आपका आदेश तो इस ग्रन्थ को प्रस्तावना का था, परन्तु महाब्रत सद्‌श आदेश कौ पालना शक्ति और बुद्धि से परे थी, इसलिए यह संक्षिप्त 'पुरोवाक्‌' लिख दिया है । महावीर ब्रह्यचर्याश्रम, मारगिकचन्द्र अयकुमार चबरें कारंजा-४४४ १०४ १८ अक्तूबर १९५९ (कातिकं बदी ४, वीर संवत्‌ २५१५) (स)




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