अक्षर कुंडली | Akshar Kundali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.53 MB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कम राशियों के अ्सें के कालखड में दघनी होगी । वही कीरो मे दी एक राशि से गुजरने का अर्सा 2150 वष गिना है। साय ही हर राशि में दर फलित होना बताया है। और वतमान मे उसका कुभ राशि मे प्रवेश दुनियीं में है वाली घटनाओं के अर्यों मे माना है । इसी को उसने सूरज का वक्री होना कहो है. पूछा-+ मानती हूं ज्योतिष में व्यमित की आत्मा को सुरज वा विव माना गया है लेकिन क्या आत्मा वक्री हो सकती हैं 7 वे कहने लगे-- आत्मा अपन आप मे नि्िकार सूरज की तरह अग्नि शिखा होती है 1 अग्नि शिखा के रूप में चेतना उसका चिह्लमय रूप है । सेक्नि उसके र्कऋ्री होने का सवाल इस तरह है जिस जीव आत्मा महा आत्मा परम आत्मा का भेद फलित मे रहता है । मात्मा इनसानो और पशु पछियों में एक-सी होती है परम आत्मा व शाश्वत अश मे रूप में । लेकिन वह पल वह क्षण आत्मा का वक्री पल-झषण होता है जब इनसान इनसानी सुरत त्याग कर पशु सुरत करता है भौर वलाशपतिं जी ने मिसाल वे तौर पर रामचरितमानस की वह कया सुनामी जब काकमुशुद्ि ने उज्जन मे मन्दिर मे शिव की आराधना की थी । एक बार उसी साधना मे दौरान उसके गुरु आये तो अभिमान की काली छाया काकभुशुडि के गिद लिपट गयी । वहूं गुरु को प्रणाम करने के लिए उठा नही । गुर ती शत स्वभाव थे उन्होंने इस अवशा पर ध्यान नहीं दिया लेकिन शिव नाराज़ हो गये और काकभुशुद्धि से कहूने अहकार तुम्हारे गुरु झापे भर तुम अजगर को तरह बैठे रहे । अब तुम अनगर हो जाओ और किसी पेह के खोह म बैठे रहो । हाँ यह तकमय बात थी और वहू मभिमानी क्षण ही भात्मा का वन्नी क्षण हो गया । मौलाशपति जी बहने लगे-- फलित प्रथो मे वत्री ग्रहो का कथन भौर उनका फल पूवजम के कर्मों का उदय होना माना जाता है वेदो में सूरज की चराचर गाहमा का अथ वी होने वा फल लागू करता है । पर इनसान की उम्र सो वष तक सीमित होती है इसलिए 2150 वर्षों का प्रभाव किसी इनसान की जाती जिदगी के अ्थों मे नही हैं । इस घ्रमण काल का प्रभाव पूरे जगत के म्थों मे है. और वे विस्तार से कहने लगे-- शरीर की यात्रा सौ वप के करीब होती है पर आत्मा वी यात्रा लाखों बरस की होती है। इसलिए पूवज मो के सस्कार भानि बाल जमो पर असर रखते हैं । वही काल गिनती लम्बे समय मे 2150 वर्षों के एक कालखड में की गयी है । जैसे धतराष्ट्र ने अपने सो ज मो के शान की पुष्टि की पर अपने सौ की मौत का कारण सही जान पाया तो उसे 101वां पूर्वेलम दिखाया गया जिसके कम का फल उसके सी पुत्री की मौत थी ४ डा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...