मुनि श्री वीर विद्यानंद विशेषांक | Muni Shri Veer Vidhyanand Visheshank
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“पुज्य मुनि विद्यानन्द जो धर्म के श्रद्भुत
प्रणेता, श्रमण सस्कृति के प्रतीक, श्राध्यात्मिक सत
होने के श्रतिरिक्त विश्व प्रेमी श्रौर विद्रानो के
लिए विशेष स्नेह रखने वाले हैं । श्रापके हृदय मे
जैन धमे जो विश्व का धमं है उसके उद्योत के
लिए बडी लगन है । भगवान महावर स्वामी के
२५०० वे निर्वाण महोत्सवे पर जो कायं उनके
सरक्षण तथा उनकी प्रेरणा से हो रहा है वह
श्रनोखी बात है । उनका नाम सदैव अमर रहेगा ।
मुनिश्नी के प्रति में श्रपनी श्रादरांजलि श्रपित करता
हुं । मुनिश्नी के द्वारा धर्म को खूब प्रभावना हो
यही मेरी भावना है ।'
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ट | मनि विद्यानन्द जी के उत्तर भारत में विहार के
दा कारण दिगम्बर जैन मुनियो के प्रति जनता मे विशेष
श्रादर व झ्ाकर्षण हस्रा है। उनके प्रवचनों से प्राणी-
सात्र का कल्याण हुम्मा है ।
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अनेकान्त धर्म के सच्चे उपासक युगहृष्टा मुनिश्री
ध ˆ विद्यानन्द जी दीर्घजीवी हो तथा समस्त पाणीमात्रका
= इसी प्रकार कल्याण करते रहे इसी भावना के साथ मैं
| है मुनिश्नी के चरणों मे श्रद्धा के सुमन भ्रपित करता हूं ।
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परिषद् के प्रधानमत्री
क्री सुकुमार चन्द जेन
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