नया शासन - विधान | Naya Shasan Vidhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपय-प्रवेश प
शासन के सव मामलों में कम्पनी के संघालक-मण्डल ( (010
01८५०४5 ) को सम्राट् दारा नियुक्त एक नई कमेटी के मातहत कर
दिया गया } यह् कमेटी आमतौर पर वोडं ओंफ कप्ट्रोल' ( 8090 ०६
(००1 ) के नाम से प्रसिद्ध है । इसके ६ सदस्य होते थे, लेकिन इसका
सारा काम वास्तव में एक सदस्य के शिम्मे ही आ पड़ा, जो बोर्ड ओंफ
कन्ट्रोल के प्रेसिडेन्ट के नाम से जाना जाने लगा । इसे यदि हस वर्तमान
भारत-मन्त्री का पूर्वाधिकारी कहें तो भनुपयुक्त न होगा । पिट के
इण्डिया एक्ट ने वम्बई व मद्रास की प्रेसिडेंसियों के ऊपर वंगाल प्रेसिडेन्सी
के अधिकारों को और भी ज्यादा चढ़ां दिया ।
केन्द्रीय सरकार की स्थापना न
` पिटिके इण्डिया एक्ट के वाद दूसरा जो महत्वपूर्ण क़ानून प्रिंटिश
पालमेण्ट ने भारतोय शासन के सम्बन्ध में पास किया वह सन् १८३३
क़ा चाटंर-एक्ट था. । इसके द्वारा भारत में सबसे पहले एक केन्द्रीय
सरकार का जन्म हुआ, जिसे हम आमतौर पर शारत-सरकार” के नाम से
पुकारते हैं । बंगाल के गवर्नेर-जनरल को भारत के गवर्नर-जनरल की
उपाधि दी गई च मद्रास मौर वम्वरई की प्रेसिडेंसी-सरकारों को भारत
के गवर्नर-जनरल और उसकी एग्सीक्यूटिव कौंसिल के बिलकुल मातहत
कर दिया गया । यहाँतक कि इन दोनों प्रेसिडेंसियों को अपनें प्रान्तों के
लिए स्वतन्त्र रूप से क़ानून बनाने का अधिकार भी नहीं रहा जो कि उन्हें
अभीतक प्राप्त॑ था । तीनों प्रेसिडेंसियों के लिए क्ञासून बनाने का एकमात्र
अधिकार भारत-सरकार को दिया गया । लेकिन गवर्नर-जनरल को
१. क़ानूनी भाषा में भारत-सरकार से अभिषाय गवर्नेर-जनरल और
उसकी एग्जीक्यूटिव कौंसिल से ही होता है और गवर्नर-जनरल को
वाइसराय के नाम से भी पुकारा जाता है ।
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