नया शासन - विधान | Naya Shasan Vidhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपय-प्रवेश प शासन के सव मामलों में कम्पनी के संघालक-मण्डल ( (010 01८५०४5 ) को सम्राट्‌ दारा नियुक्त एक नई कमेटी के मातहत कर दिया गया } यह्‌ कमेटी आमतौर पर वोडं ओंफ कप्ट्रोल' ( 8090 ०६ (००1 ) के नाम से प्रसिद्ध है । इसके ६ सदस्य होते थे, लेकिन इसका सारा काम वास्तव में एक सदस्य के शिम्मे ही आ पड़ा, जो बोर्ड ओंफ कन्ट्रोल के प्रेसिडेन्ट के नाम से जाना जाने लगा । इसे यदि हस वर्तमान भारत-मन्त्री का पूर्वाधिकारी कहें तो भनुपयुक्त न होगा । पिट के इण्डिया एक्ट ने वम्बई व मद्रास की प्रेसिडेंसियों के ऊपर वंगाल प्रेसिडेन्सी के अधिकारों को और भी ज्यादा चढ़ां दिया । केन्द्रीय सरकार की स्थापना न ` पिटिके इण्डिया एक्ट के वाद दूसरा जो महत्वपूर्ण क़ानून प्रिंटिश पालमेण्ट ने भारतोय शासन के सम्बन्ध में पास किया वह सन्‌ १८३३ क़ा चाटंर-एक्ट था. । इसके द्वारा भारत में सबसे पहले एक केन्द्रीय सरकार का जन्म हुआ, जिसे हम आमतौर पर शारत-सरकार” के नाम से पुकारते हैं । बंगाल के गवर्नेर-जनरल को भारत के गवर्नर-जनरल की उपाधि दी गई च मद्रास मौर वम्वरई की प्रेसिडेंसी-सरकारों को भारत के गवर्नर-जनरल और उसकी एग्सीक्यूटिव कौंसिल के बिलकुल मातहत कर दिया गया । यहाँतक कि इन दोनों प्रेसिडेंसियों को अपनें प्रान्तों के लिए स्वतन्त्र रूप से क़ानून बनाने का अधिकार भी नहीं रहा जो कि उन्हें अभीतक प्राप्त॑ था । तीनों प्रेसिडेंसियों के लिए क्ञासून बनाने का एकमात्र अधिकार भारत-सरकार को दिया गया । लेकिन गवर्नर-जनरल को १. क़ानूनी भाषा में भारत-सरकार से अभिषाय गवर्नेर-जनरल और उसकी एग्जीक्यूटिव कौंसिल से ही होता है और गवर्नर-जनरल को वाइसराय के नाम से भी पुकारा जाता है ।




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