अध्यात्म पञ्च संग्रह | Adhyatam Panch Sangarh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अगे शुद्रसरूप गण को बतावे है।
अपनी फ्ययिवृत्ति करे एक एक गुण सब गुण की मेवा कर हे, ताको व्णन-सूक्ष्मगुण
के अनतपययि ज्ञान सष््न दरसन सृष्म वीर्यं सूक्ष्म सत्ता सुधष्म सूक्ष्म गुण अपनी सूक्ष्मपयाय
न देता ती वे सूक्ष्म न हेति । तब स्थूल भय इन्द्रिय ग्राह्य भय जइता पवेत, तति सूदम
गुण अपनी सुक्ष्मपर्याय दे सत्र गुण का स्थिति भाव सुद्ध यथावत कार्य संवारे है । यतत
सुक्ष्मगुण की. सेवावृत्ति सधी । तातैं सुक्ष्मगुण झूद ऐसा नाम पाया । सत्तागुण के अनतः
पर्याय सत्ता है लक्षण पर्याय सवक दयि तत्र सब गुण अस्तिभाव रूप भये अपनी आस्तिमाव
पर्याय दे उनके आग्तिभाव राखन के कार्य सवारे । तात सत्ता उनके कायै सवारने ते उनकी
सेवावृत्ति भई तत्र सत्ता को झूद ऐसा नाम भया । या प्रकार सव गुण सद्र भये।
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आगे च्यारि आश्रम मद लिखिये है।
सव गुण बह्म आचरण कीये है, ताति बह्मचाशी दँ । ज्ञान बह्म एक है ताते ज्ञान वरह्य
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