सटीक कवितावली रामायण | Satik Kavitawali Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
309
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
ऊपर लिखित उद्धरण से ऐसा प्रतीत होता है कि ठुलसीदासजी
पराशर गोत्र सरवरिया ब्राह्मण थे. दर. .उनका _ जन्म सवत् १५५४ मेँ
हुआ था। यद्यपि वेणीमाधवदासजी ने कीं मी उर दुबे नदीं लिखा
हैं, तथापि पत्यौजा से उनकी वश-परम्परा को श्रारम्म करना ही उर
दुबे प्रमाणित करता. है । काष्ठजिह्वा स्वामी ने भी कहा है-- तुलसी
परासर गोत दुबे पत्यौजा के । वुलसीदासजी के पिता यशस्वी विद्यान्
, श्र सत्पात्र थे। मूल गोसाइंचरित मे उनका नाम नहीं मिलता ।
' किन्तु जनश्रुति के अनुसार गोस्वामीजी के पिता का नाम श्रात्माराम
दुबे कहा जाता है । उनकी माता का नाम हूलसी था, इसका उल्लेख
मूल गोसाइंचरित में मिलता है; जैसा कि. निम्नलिखित पद
से स्पष्ट है :- |
“हूलखी भ्रियदासि सों क्षागि कड । सखि प्रान पेरू उदन् चट ||”
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उपचाप च सो गई सिसुलै । हुलसी उर सूनु वियोग फते ॥
_ प्रसिद्ध कवि र्द्दीम कवि का भी, इनकी माता के सम्बन्ध में, निम्न
लिखित दोहा प्रसिद्ध है :--
सुरतिय, नरतिय, नागतिय, यह जानत सव कोय |
गभं लिये हूलसी रर, दलसी सो सुत होय ।
6
<<} अव बोवा रघुन्रदासजी के _ “तुलसी-चर्ति”” पर एक इष्टि डालने
की श्रावश्यकता है । उनके मतानुसार गोस्वामीजी के प्रपितामह
परशुराम मिश्र सरवार प्रान्त में मभौली से तेइस, कोस पर कसया माम
के निवासी थे । वें तीर्थाटन करते हुए चित्रकूट पहुँचे श्रौर उसी श्रोर
राजापुर में बस गये । उनके पुत्र शंकर मिश्र हुए । शकर मिश्र के
रुदनाथ मिश्र और उनके मुरारी मिश्र हुए, जिनके पुत्र तुलाराम ही
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