सटीक कवितावली रामायण | Satik Kavitawali Ramayan

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Satik Kavitawali Ramayan by गोस्वामी तुलसीदास - Gosvami Tulaseedas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ ) ऊपर लिखित उद्धरण से ऐसा प्रतीत होता है कि ठुलसीदासजी पराशर गोत्र सरवरिया ब्राह्मण थे. दर. .उनका _ जन्म सवत्‌ १५५४ मेँ हुआ था। यद्यपि वेणीमाधवदासजी ने कीं मी उर दुबे नदीं लिखा हैं, तथापि पत्यौजा से उनकी वश-परम्परा को श्रारम्म करना ही उर दुबे प्रमाणित करता. है । काष्ठजिह्वा स्वामी ने भी कहा है-- तुलसी परासर गोत दुबे पत्यौजा के । वुलसीदासजी के पिता यशस्वी विद्यान्‌ , श्र सत्पात्र थे। मूल गोसाइंचरित मे उनका नाम नहीं मिलता । ' किन्तु जनश्रुति के अनुसार गोस्वामीजी के पिता का नाम श्रात्माराम दुबे कहा जाता है । उनकी माता का नाम हूलसी था, इसका उल्लेख मूल गोसाइंचरित में मिलता है; जैसा कि. निम्नलिखित पद से स्पष्ट है :- | “हूलखी भ्रियदासि सों क्षागि कड । सखि प्रान पेरू उदन्‌ चट ||” नि कपो न के रे 9 4 उपचाप च सो गई सिसुलै । हुलसी उर सूनु वियोग फते ॥ _ प्रसिद्ध कवि र्‌द्दीम कवि का भी, इनकी माता के सम्बन्ध में, निम्न लिखित दोहा प्रसिद्ध है :-- सुरतिय, नरतिय, नागतिय, यह जानत सव कोय | गभं लिये हूलसी रर, दलसी सो सुत होय । 6 <<} अव बोवा रघुन्रदासजी के _ “तुलसी-चर्ति”” पर एक इष्टि डालने की श्रावश्यकता है । उनके मतानुसार गोस्वामीजी के प्रपितामह परशुराम मिश्र सरवार प्रान्त में मभौली से तेइस, कोस पर कसया माम के निवासी थे । वें तीर्थाटन करते हुए चित्रकूट पहुँचे श्रौर उसी श्रोर राजापुर में बस गये । उनके पुत्र शंकर मिश्र हुए । शकर मिश्र के रुदनाथ मिश्र और उनके मुरारी मिश्र हुए, जिनके पुत्र तुलाराम ही




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