हिन्दी - गद्य | Hindi Gadya

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Hindi Gadya  by रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका ६ साधारण जनसमाज के लिए कहानी के रूप में थी । दोनों रचनाएँ. श्रपने समय की प्रवृत्तियों को स्पष्ट करती हैं । मध्य वर्गीय्र जनतां जहाँ एक श्रोर श्रभी तक धर्मप्राण थी वहाँ उसमें दूसरी आर लौकिक दृष्टिकोण पैदा दो रहा था । मुसलमानी राज्य के पतनकॉल मं मनोविनोद की प्रवृत्ति बढ़ रहो थी ग्रौर लोग दूपित श्र दलके कतहल में श्रानन्द लिया करते थे । इन स्वतंत्र लेस्चकों के बाद दम पहली बार हिंदी गद्य का सुसंगठित प्रयोग देखते हैं । यह दो रूपों में हसारे सामने आता है--एक ता श्धघिकारियों द्वारा फोट विलियम के माध्यम से श्योर दूसरे ईसाई धर्म प्रचारकों द्वारा । फोट विलियम के श्रधिकारी शासन से सबन्धित थे ! उनका उद्देश्य (11118718 का ऐसी भाषा का श्रध्ययन कराना था जिसका प्रयाग वे उत्तरी भारत के राजकीय काम में सपक में आने याली मध्यवर्गीय जनता में कर सके | इस समय तक फ़ारसी दौर उदूंहिंदी की अपेक्षा श्धिक समसी जाती थी | इसलिए श्रधिकारियों का ध्यान पहले उू की श्रार गया | यह श्रवश्य है कि उन्होंने “मापा के प्रयाग की आवश्यकता समकी क्योकि जनताकाजा वग मुसलमानों के सपक में नदी श्राया था, उससे उदू द्वारा काम निकालना श्रसंनव था | श्रविकारिया के मामने खड़ी बाली गद्य अधिक प्रयाग में नदी श्राता था; शत: जब उन्होंने “माषा” में रचनाएँ कीं ता वे समझे कि एक नई भाषा की नीव डाल रहे हूंँ। जॉन गिलक्रिष्ट ने श्रपनी भूमिकाओं में इस बात का उल्लेग्व विया है श्र इन्हीं के श्राघार पर उदूं लेखक कहते हैं कि हिंदी गद्य उदू गय से फ़ारसी शर््दों को भी हटा कर और उस पर संस्कृत का श्रपण करके बनाया गया है । सच बात यह है कि यह भ्रति के लिए स्थान है क्योकि फार्टं विलियम. के ददी लेग्वको के च्रागे श्रधिक पौटृ उदू का नमूना या । फोट विलियम मं जहां उदं ऋ १०- १२ लेखको के नाम मिलते




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