नागरिक शास्त्र की विवेचना | Nagarik Shastr Ki Vivechana
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
402
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोरखनाथ चोबे - Gorakhnath Chobey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नागरिक शास्त्र, विस्तार श्रौर श्रन्य शास्त्रों से इसका सम्बन्ध. ३
जिस समाज मेँ रहता है उसके प्रति उसके बहुत से कत्तव्य ह | उनका
जान मनुष्य के लिये श्रावश्यक है । कुटुम्ब के प्रति
उसके क्या कत्तव्य हैं, धार्मिक संस्थाओं से उसका
क्या सम्बन्ध है, तथा राजनेतिक संगठन में उसे
कौन कौन से श्रधिकार प्राप्त है-- इन सव के शान को नागरिक
शास्त्र कहते हैं । श्र्थात् जिस शास्त्र के श्रन्दर नागरिक के श्रधिकासैं
और कतब्यों का वणुन होता है वह नागरिक शास्त्र कदलाता है।
नागरिक शाख््र ओर नगरः शब्द से कोई विशेष सम्बन्ध नहीं है ।
हिन्दी भाषा मं हम नगर शब्द का श्रथ 'शहरः करते है परन्तु नागरिक
शास्त्र केवल शहरों का शास्त्र नहीं है। भारतवष में लगभग ७ लाख
गाँव हैं। इन थ्रामों के श्रध्ययन को ग्रामशास्त्र कहते हैं । नागरिक
शास्त्र और ग्रामशास्त्र दोनों एक ही हैं । जिस शास्त्र से नगर श्रथवा
ग्राम निवासिपों की रहन सहन का शान हमें प्राप्त हो वह नागरिक शास्त्र
अथवा ग्रामशास्त्र कहलाता है । श्रर्थात् जो व्यक्ति ग्राम या नगर में रहते
हैं उनकी रहन सहन केसी है, उनके श्रन्दर किस प्रकार के कितने संगठन
हैं, उनकी श्रार्थिक तथा सामाजिक व्यवस्था केसी है--इन सबकी जानकारी
नागरिक शास्त्र के श्रन्दर मौजूद होती है । साथ ही यह शास्त्र श्रादर्श
जीवन का माग॑ भी समाज के सामने रखता है ।# हमारे देश में
'ग्रामशास्त्र' शब्द 'नागरिक शास्त्र से अधिक उपयुक्त है, क्योंकि हमारा
देश गाँवों का देश है। इस शास्त्र के श्रन्तगत हम मनुष्य का ही अध्ययन
करते हैं । किन्ठु मनुष्य की बनाई हुई संस्थाश्रों का जब तक हमें शान
न होगा, तब तक हम उसे नदीं समभ सकते । अफ़लातून ऐसे यूनानी
दाशनिकों ने इसे स्वीकार किया है कि समाज मनुष्य का .एक ब्रहतू
रूप है । इसलिये नागरिक शास्त्र नागरिक के रूप में मनुष्य का दी
विश्लेषण करता दै ।
नागरिक शास्त्र की
परिभाषा
~~~ ~--- ~+ व = -------- ~-- ~~ ~ ~~~
# (1४168 18 11€ 8ल€८€ पा 866४5 10. पाह00ए6' (16
0110111018 0 {16 68४ [0088016 80८४] 11९.
# (19108 18 € हप्रवङग ग [डा पौमा8, 0४४8) ध्मण-
1168 81 शुभात् 0 16818 ग पराली € 11ए€ 10. 80061:
{ (र1०8 18 ४०९ शवङ्क फा) 7) एलभ्पला ४ इठ्लेभ
०12४०08,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...