कांग्रेस का सरल इतिहास | Kangres Ka Saral Itihas

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Kangres Ka Saral Itihas by ठाकुर राजबहादुर सिंह - thakur rajbahaadur singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र्‌ कांग्रेस का सरल इतिहास यह श्रल्प काल्ञ दिन्दुत्तान के लिए हज़ारों यगों के समान लम्बा ओर न. गुज़रने वाला बन गया । इस श्रवधि में सम्पत्ति की लूट, संस्कृति का हस, कपट-नीति का प्रसार श्रौर इस देश के ज्ञान-विज्ञान, कन्ना-विदया तथा हस्त-कोशल का रेखा भीषण बजिनाश श्रौर पतन श्रा; इस उवंरा भूमि के निवासियों को दुने-दाने का युहताज बनाकर और हमारी माताश्रों, बहनों को तन ढकने के वस्त्र से विहीन करके दरिद्रता का ऐसा दानवीय दृश्य उपस्थित किया गया ; मानवता की ऐसी घोर उपेक्षा की गई ; विषमता का ऐसा विष व्याप्त कर दिया गया कि उससे दमारा राष्ट्रीय जीवन शून्य के निकट पहुँच गया । वेसे तौ भारत के लम्बे हतिष्ठास मे इस देश पर श्रनेक विदेशी शक्तियों के दति रदे हे--शको, हूणो, यूनानियों श्रौर मुसलमानों ने एक-एक करके भारत दधी सम्पत्ति भ्रौर राजस्वष्ो प्राप्त करनेके ब्धिए ्पने-श्रपने कालम पूरी कोशिशं कीं श्रौर डनमें से कुछ को--कम से कम ध्न्तिम को--झपने उद्देश्य में काफी सफलता भी मिली ; पर इनमें से कोई भी शत्रित, भारत का ऐसा झार्थिक श्र राजनीतिक शोषण नहीं कर सकी,जेसा कि बाद में श्राने वाले फिरंगियों-- खासकर दमगो ने कर डाला, तब और अब रब, जबकि हम स्वतंत्र दो चुके दें, भक्षे ही ेग्रज़ों के प्रति झपनी कट भावना छोड़ द॑ ; पर असल में भारत में अंग्रेज़ी राज्य का इतिहास लूट, 'घोखा-घड़ी , छल-प्रपंच श्रौर मानवता के प्रति मीषणतम श्रत्वा- चारों का इतिहास दे श्रौर सच तो यद्द है कि मुसन्ञमानों ने कभी ऐसा अत्याचार नद्दीं' किया कि जिसके फक्नषस्वरूप यदद' देश दरिद्रता और मुखता के भीषण दलदल में -फसकर पना सब ङ गंवा देता । उनका सांस्कृतिक भेद भले ही हमें न भाया हो ; पर उन्होंने इस देश के कत्ता- कौशल भौर दस्तकारी को काफी प्रोत्साहन दिया है श्रोर जो मुखज्ञमान यहाँ शाखकरूप में बस गये थे, उन्दोनि यहाँ के धन-्म्पत्ति को बाहर




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