टोलस्तोय की डायरी | Tolestoy Ki Diary

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Tolestoy Ki Diary by ठाकुर राजबहादुर सिंह - thakur rajbahaadur singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ $ न [ १८५५४ ] फरवरी, १८५४ ३० को जब टॉल्सटॉय याश्नायां पोल- याना कै निकटवर्ती तुल्लाननगर मे थ, उन्हें एक सरकारी हुक्म सिला कि उन्हें कमीशन प्रदान किया गया हैं ऑर उनकी नियुक्ति डेन्यूब की सेना में (& जाती है । यह उन द्र्ख्वाश्तों का. नतीजा था, जो टॉल्सटॉय ने सिलिस्ट्रिया- स्थित सेना-नायक जनरल प्रिंस एम० डी ० गोशॉका के पास भेजी थीं । पाठकों को स्मरण रखना 'बाहिए, कि इन जलरल-सहदोदय के दो भाई (जिनमे से एक वह्‌ था, जिसने सेवस्टॉपॉल के घेरे में पैदल सेना के अध्यक्त का काम किया था ) थे, और तीन मतीजे । डायरी में जहाँ “गोशॉोका” का जिक्र क्रिया गया है, वदँ यह्‌ बात स्पष्ट नहीं है, कि उक्त पाँच गोर्शा- काश्ओों में से बहाँ किसकी च्चा की ययी है। गोर्शाका- परिवार ोर टॉल्सटॉय-परिवार में रिश्तेदारी थी । परवंरी कै अन्त में टॉल्सटॉय घर से रबासा हुए, और घोड़ों पर २००० सील की थात्रा करेरके करके, पोलतावा बालदा ब्योर किशीदेव होते हुए १९ माच, को बुखारेस्ट पर्ये । ग्रस गोशका ने उनकी अनी श्राकव-भगत की पर्‌ खन्द अपने स्टाफ मे नदीं शामिल किया, श्र उक्ती छूटी छाल्तेनित्सा-स्थित तोपखाने पर जगा दी । यह सियुक्ति स्थायी नहीं थी; क्योंकि थोड़े ही दिनों बाद उनकी बदली दक्षिणी सेना के प्रधान-नायक जनरल सजपुदोव्श्की के स्टाफ में हो गयी । २७ मई को वे उस स्टाफ में सम्मिलित हुए और गढ़ी के घेरे सें उन्होंने भाग लिया । ¢ न




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