उसकी कहानी | Usaki Kahani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कब्पनारओं का राजा आज बक्‍्स से बोतल निकाल कर उसने अपने सामने रखी; जेसे किसी एक नवीन कल्पना का बास्तविंक रूप देखने के लिए वह उठ खड़ा हुआ । उतने बोतल अपने बगल में ली और चुपचाप घर से चलने के लिए प्रस्तुत हुआ । उसका बूढा सेवक द्वार पर ऊंघ रहा था। उसे देखकर खडा हो गया, बड़ी उत्सुकता से उसकी आँखें कुछ पूछना चाहती थीं । काल्पनिक ने कहा--में जाता हूँ, रात में लोटकर नदीं श्राऊँगा । सेवक ने मस्तक झुकाकर उसकी बाते सुनीं । चह उक्के स्वभाव से परिचित था । काल्पनिक को यह मालूम था कि नगर से दो मील दूर पर सुन्दर ख्रियों का एक समुदाय है, जहाँ पुष अपने मनोरञ्जन के लिए उन्हे पैसों से पालते है, ओर वेश्या के नाम से उनका सम्भोधन करते है । वह उसी माग की ओर जा रहा था । रजनी ने दूसरे पदर में 'पदापण किया । कुत्ते भूंक रहे थे । चारों ओर सन्नादा था । शीतकाल की रजनी अपने पहले पहर में ही एहस्थ दूकानदारों को छुटकारा दे देती है । दुकानें सब बन्द हो गयी थीं । वह चर्ते-चलते रूप के दार में पहुंचा । इस भयानक शीत में भी पैरों के नाम पर हाट आलोकित था । काफी चहल-पहल थी। बह एक- एक मकान के सामने खड़ा होकर देखता इु्रा, आगे बढा । किसी ने सुसकराकर उसे आकषित करना चाहा; किसी ने दाथ से सकेत किया और किसी ने रूमाल दिलिकर ! इस तरह अनेकों विधियों से सबों ने अपना-अपना कौशल दिखलाया, लेकिन वह आगे ही बढ़ता गया । अन्त मे एक जगह जाकर वह खडा दो गया । उसे यह जात दो गया कि दाद की सीमा का यहीं अन्त होता है और यह अन्तिम मकान है । उखने ऊपर देखा, एक टली हई आकृति दिखलायी पड रदी थी । ` १५




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