मेरी आत्म - कथा | Meri Atma Katha

Meri Atma Katha  by रवीन्द्रनाथ टैगोर - Raveendranath Taigor

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore

Add Infomation AboutRAVINDRANATH TAGORE

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
करने के लिए हमने इन्हें पत्र भोलिखा, तो तुरंत झापने झाज्ञा दे _ दो। एक बार इस्हें रेशम-हो-रेशम पहने देखकर हम लोगों ने पूछ डा उसमें झधिक सादापन नहीं ग है? अपने धीरे से उत्तर दे दिया-- 6 नए 058. उप ऊ फीड 04 ह:8पुरूपिएए 85: 8 ठ. फठ-एता, 008 5], 280/5 0 ०छ०86०5'--झथातूं . सादगी *न' कार. का संझद नहीं, बंघम्य का एकीकरण है । झाप महांत्माजी के चर्खावाद झथवा झसहयाग बाद को नहीं मानते । जो कुछ हो, यह तो बयक्तिक विचार हे रबि बाबू भारत-माता के भाल के सुललित टीका हैं। परमात्मा इन्हें दीन-जोवी करे, जिससे इनके संपकं से श्ौर कई रवि बाजु्डं का देशाकाश में उदय. हों । व रन ब्याज झापकी लिखी हुई मेरी झाटमनकथा” के साथ उपरेक्त पक्षियों वो जोड़ते हुए मसन्नता है। रही है । झाशा है कि पाठक इससे भी लोभ उठाकर मेरे परिश्रम को सफल बनाने की. कप




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now