शासन - समुद्र भाग - 16 | Shasan-samudra Bhag - 16

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Shasan-samudra Bhag - 16 by मुनि नवरत्नमल - Muni Navrtanmal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शासन-समुद्र अष्टसाचार्य श्री कालगणी के समय की साध्चियां (सं० १९६६-१६६३) दोहा श्री कालू गुरुदेव की, रिष्याएं जालीन । दो-सौ पर पचपन हुई, संयमवती कुलीन ॥१॥ शत पचपन उपयुक्त, सतियां प्रस्तुत भाग में । सौ सतियो से युक्त, भाग पंचदरावां पटो ॥२॥




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