सभापति का भाषण | Sabha Pati Ka Bhashan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
पर उसका क्या श्रसर पडनेवाला है तो हम इस बात से बेखबर नही थे कि सन्
१७ श्र सन् १४ मे ब्रिटिश गवरमेट की पालिसी क्या थी । हम जानना चाहते
थे कि सन् ३९ के इस ससार मे, जो इस तेजी के साथ दौड रहा हं श्रौर बदल रहा
है कि दिनो के श्रन्दर सदियो की चाल पूरी कर रहा हं, हिन्दुस्तान को ब्रिटिश
गवरमेट किस निगाह से देखना चाहती है । उसका दृष्टिकोण श्रब भी बदला ह
या नही । हमे साफ जवाब मिल गया कि नही बदला । ब्रिटिश गवरमेट श्रब भी
ग्रपनी साम्राज्य पिपासा मे कोई परिवतेन नही कर सकी । हमे विश्वास दिलाया
जाता है कि ब्रिटिश गवरमेट इस बात की बहुत ग्रधिक इच्छुक ह कि भारतवषं
जहां तक सभव हो जल्दी उपनिवेशो का सुतबा यानी डोमीनियन स्टेटस प्राप्त कर
ले। हमे मालूम था कि ब्रिटिश गवरमेट अपनी यह इच्छा प्रकट कर चुकी है।
ग्रव हमे यह् बात मालूम हो गई कि वह् इसकी “'बहुत ज्यादा इच्छुक है।” किन्तु
प्ररन त्रिटिश गवरमेट की इच्छा और उस इच्छा के कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा
होने का नही हैं। साफ श्रौर सीधा प्रइन भारतवर्ष के अधिकार का हूँ। भारत-
वर्ष को यह झ्रधिकार हासिल है या नही कि वह श्रपने भाग्य का स्वय फैसला कर
ले? इसी एकं प्रन के उत्तर पर इस समय के सारे प्रइनो का उत्तर निभेर है ।
भारतवर्ष के लियें यह प्रइन नीव की श्रसली ईट ह । वह इसे हिलने नही देगा ।
यदि यह हिल जाय तो भारतवषे के कौमी ्रस्तित्वं की सारी इमारत हिल
जायगी ।
जहाँ तक लडाई का सबध हें हमारे लिये परिस्थिति बिलकुल साफ हो गई। हम
ब्रिटिश साम्राज्य का चेहरा इस लडाई के भ्रन्दर भी उसी तरह साफ साफ देख रहे
हे जिस तरह हमने पिछली लड़ाई मे देखा था ग्रौर हम इस बात के लिये तय्यार
नहीं है कि उसकी जीत के लिये लडाई मे हिस्सा ले। हमारा श्रभियोग बिलकुल
स्पष्ट हैं। हम शझ्रपनी परतन्त्रता की श्रायु बढाने के लिये ब्रिटिश साम्राज्य को
अधिक मजबूत श्रौर श्रधिक विजयी देखना नहीं चाहते। हम ऐसा करने से
साफ साफ इनकार करते हे। हमारा मार्ग निस्सदेह इसके ठोक विपरीत दिशा
मेह्।
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