गुजरात के कवियों की हिंदी काव्य साहित्य की देन | Gujarat Ke Kaviyo Ki Hindi Kavya Sahitya Ki Den

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Gujarat Ke Kaviyo Ki Hindi Kavya Sahitya Ki Den by नटवरलाल स्नेही - Natavarlal Snehi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ २ ` गुजरात के.कवियों कौ हिन्दी काव्य साहित्य को देन कानतं या सौराष्ट्र में निदिचिद सामग्री नहीं मिलती ।* महाभारत के युद्ध से पूवं शूरसेन कौ यादवप्रना अपने राजां कंस के विरुद्ध हो गई और कृष्ण ने कंस को हत्या की । तदनन्तर मगध के राजा एवं कंस के सरति जरासंध के भय से अभिभूत होकर कृष्ण एवं बलदेव के नेतृत्व में यादवगण गुजरात में आकर मानते एवं सौराष्ट्र में बस गये ।' कृष्ण की सहायता से उम्रसेन द्वारिका के सारे राज्य का संचालन करता था । कृष्ण आयें संस्कृति एवं सम्यता के सर्वत्तिम प्रतिनिधि माने जाते थे 1? महाभारत के वन पे में युघिष्ठिर की गुजरात यात्रा के विषय में उल्लेख मिलता है । यहाँ आकर इन्होंने देखा कि बम्बई से उत्तर के प्रदेश में-- अपरान्त मे कई आयें जाति रहती थी । मार्केडेय ऋषि का आधम पयोष्णी (ताप्ती) मदी के किनारे परथा\ नर्मदानदी कै तीर परभुगुमोके आश्रम थे । महाभारत के युद्ध के समय कृष्ण ने पांडवों को विजेता बनाने मे बहुत योग दिया । यादवों ने बहुत ही वीरता के साथ महाभारत के युद्ध में भाग लिया था पर अपने घर आकर इन्होंने अपने बैमनस्य एव वैर भे अपता ही सर्वनाश कर दिया। सौराष्ट्र मे प्रभास से कई मील दूर श्रीकृष्ण ने देहोत्सभं किया था । इसके बाद मणध के मौर्य शासन तक कई दाताष्दियों के बारे में हमें कुछ ज्ञान नहीं है। इस समय के दरम्यान बनायं निपाद लोग गुजरात में रहने लगे ।* गुजरात के भील नाति के लोग इनके ही वंशज हैं ।* चुद्ध एवे जेन धमं का मौ प्रभुत्व यदृ रहा था | ग्रीक गवरनर यायान थेरा की सहायता से अशोक (२७२-र३२ ई० पू०) सौराप्ट्र पर शासन कर रहा था 1 गिदिनार पवेत पर चढ़ते हुए इसके शिलालेखों को हम आज भी देख सकते हैं 1 ष मौयें शासन के अन्त के बाद (१८७ ई० पू०) एपोलोडोट्स एवं भिनान्दर ने इस प्रदेश का शासन किया । तदनन्तर षस की प्रथम दाताब्दी मे सोराप्ट्र में झत्रियों के शासन का प्रारम्म हुवा 1 खदरदामनः (६० सर १४३ १५८} मानते, अरप), कच्छ, सराष्ट्‌, अवन्ती, गुजरात त्यादि प्रदेशों पर प्रासन करता घा । क्षत्रियो के वाद चद्धगुष्त द्वितीय (विक्रमादित्य) का शासन गुजरात पर रहा 1, + ४.1. षण्णा, लश्दावा तद 15 दथवा, ‰. 5. 1974. ए. 6. ३ ध्वं




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