प्रकाश | Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दृश्य पहला अक { १५
विरवनाथ लगभग पचपन वषं का, दुनेला-पतला, ठ्गिना, गेह
रंग का 'सनुप्य है । सफ़ेद मू छें हू, बालाबरदार सफ़ेद प्रेंग रखा
शौर- सादा, सफ़ेद पायजासा पहुने है । गले में सफेद दुपट्टा है
भ्रौर सिर पर उसी रंग का साफा । सब कपड़े खादी के है ।
सादे हिन्दुस्थानी जूते हैं । मस्तक पर सफेद चन्दन को टिंकली
है । शहीदनरुदा लगभग चालीस वर्ष का साँवला, ऊंचा-पुरा
श्ौर मोटा आदमी है । ख़िंजाब की हुई काली छोटी-छोरी
मुछें श्रौर दाढी है । काली शेरवानी, उस पर काला चोगा
शभौर ढीला सफेद पायजासा पहनें है । सिर पर तुर्की टोपी
श्रौर पैरो मे श्रगरेली जते हे । शेरवानी में ची के सीना क्रिये
हुए बदन लगे है । भगवानदास लग भय पसर चषं का सांवल
रंग का बहुत सोटा श्रौर ह्गिना मनुष्य है । नड़ी-वड़ी सफेद
मू छ हे । मस्तक पर रामानन्दी मोटा तिलक है । सफेद झंगरखा
श्रौर पायजामा पहने है । गले में जरी का सफेद दुपट्टा श्रौर
« सिर पर गोल पड़ी है । पैरो में देशी जूते है । मोती की दो-
लड़ की कंठी, हाथों में सोने के कड़े कौर कानों में सोने की
मुरकियाँ पहने है । मुरकियों के भार से कानों के छेद बहुत
लम्बे हो गये हे ए]
दासोदरदास : (विश्वनाथ से) किए, पण्डितजी, हिन्दू-सभा
का.काम कंसा चल रहा है ? (सिगरेट कौ राख ततरो
ें झाड़ता है 1)
विर्वनथ : साधारणतया ठीक ही चस रहा है, गुप्ता साहब ।
श्राप जानते ही है कि ्राजकल हर काम में शिथिलता है ।
धनपाल ; (यह भी ध्रव सिगरेट पी रहा है) मुभे तो इस वात
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