प्राचीन भारत की शासन - संस्थाएँ और राजनीतिक विचार | Prachin Bharat Ki Shasan - Sansthaen Aur Rajanitik Vichar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पथ घ्मथिफलाय राज्याय नम: ।' --कामन्दक “सर्वस्य जीवलोकस्य राजघः परायणम्‌ । त्रिवर्गो हि समासक्तो राजधमेंषु कौरव । मोक्षधर्मश्च विस्पष्टः सक्रलोऽत्र॒ समाहितः ॥' --महाभारत, शान्तिपवे “सर्वोक्जीक्कं लोकस्थितिङृन्नीतिजास्तरकम्‌ । धमथिकाममूलं हि स्मृतं मोक्षप्रदं यतः11' -श्‌ क्रनीति दण्डनीतिरेका वियेत्यौश्षनसाः-तस्यां हि सवं विद्यारम्भाः प्रतिबद्धा इति । छ




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