प्राचीन भारत की शासन - संस्थाएँ और राजनीतिक विचार | Prachin Bharat Ki Shasan - Sansthaen Aur Rajanitik Vichar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
353
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand) पथ घ्मथिफलाय राज्याय नम: ।'
--कामन्दक
“सर्वस्य जीवलोकस्य राजघः परायणम् ।
त्रिवर्गो हि समासक्तो राजधमेंषु कौरव ।
मोक्षधर्मश्च विस्पष्टः सक्रलोऽत्र॒ समाहितः ॥'
--महाभारत, शान्तिपवे
“सर्वोक्जीक्कं लोकस्थितिङृन्नीतिजास्तरकम् ।
धमथिकाममूलं हि स्मृतं मोक्षप्रदं यतः11'
-श् क्रनीति
दण्डनीतिरेका वियेत्यौश्षनसाः-तस्यां हि
सवं विद्यारम्भाः प्रतिबद्धा इति ।
छ
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