ऐतिहासिक जैन - काव्य संग्रह | Etihasik Jain Kavy Sangrah

Etihasik Jain Kavy Sangrah by अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1९ दासजी सेठ “न्याय ब्याकरणतीथ” ने कर देनेकी कृपा की है। श्रीयुक्तं मिश्रीखाङजी पालरेचा महोदयसे भी हमें संशोधनमें पूणं सहा- यता मिली हे । श्रीयुक्त मोहनटाल दलोचन्द्‌ देसाई 9... 1..1.. 9. ( वकील हाईकोट, बम्बई ) ने भी समय समयपर सत्परामश द्वारा सहायता पहुंचाई हें । इसी प्रकार कतिपय काव्य उ० सुखसागर- जी, मुनिवर्य रत्नमुनिजी; लब्धिमुनिजी एवं जेसलमेरवाले यतिवय लक्षमीचन्दजीने ओर कतिपय चित्र-न्छाक दिल) नाहर, साराभाइ नवाब, मुनि पुण्यविजयजी आदिकी कृपासे प्राप्त हुए हैं, एतद्थ उन सभी, जिनके द्वारा यत्किच्चित भी सहायता मिली हो, सहायक पूज्या व मित्रोके चिर कृतज्ञ है । निवेदक- अगरचन्द नाहटा, भवरलार नाहटा ।




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